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Deepak : आपको पहली बार कब एहसास हुआ कि आप एक लेखक बनना चाहते हैं?
Dr. Jagdish Prasad : सन १९९९ में पावागढ़ देवी के दर्शनार्थ जाते समय मैंने एक अमीर महिला को देखा जो पामेरियन को अपनी गोद में ले जा रही थी तथा उसका खुद का बच्चा दासी की गोद में रो रहा था. इस घटना ने मेरे अंतर को झकझोर दिया. उस घटना से प्रभावित होकर मैंने एक कविता लिखी जिसका शीर्षक था, “यहाँ मानवता ने दम तोडा”. इस कविता के अन्दर मैंने समाज में व्याप्त बुराइयों और आदमी के आडम्बरों पर प्रकाश डाला. इस कविता को मैंने जब जब अपने लोगो के सामने प्रस्तुत किया तब तब काफी प्रशंसा व प्रोत्साहन मिला. तभी से मैंने अपने ब्लॉग पर कविता लिखना शुरु कर दिया था.
Deepak . किताब लिखने में आपको कितना समय लगता है?
Dr. Jagdish Prasad : मैं किताब लिखने की खातिर किताब नहीं लिखता परन्तु किसी विषय पर अभिव्यक्ति करने दिल होता है तभी लेखन कार्य करता हूँ.
Deepak. जब आप लिख रहे हों तो आपका कार्य समय क्या है?
Dr. Jagdish Prasad : सामान्यतः सुबह के ६ बजे से ९ बजे तक.
Deepak: आप क्या कहेंगे आपका दिलचस्पी के बारे में?
Dr. Jagdish Prasad : मुझे समाज सेवा कार्य पसंद हैं इसलिए चरित्र निर्माण तथा समाज सुधार विषयों पर चिंतन मनन, लेखन-पाठन में मेरी दिलचस्पी हूँ.
Deepak : आपको अपनी पुस्तकों के लिए आपकी जानकारी या विचार कहा से मिलते हैं?
Dr. Jagdish Prasad : समाज अवलोकन के अनुभवों , सम्बंधित पुस्तकों के अभ्यास, युट्यूब वीडियो, गूगल सर्च इत्यादि से विषय वस्तु की जानकारी मिलती है.
Deepak : आपने अपनी पहली किताब कब लिखी थी और आप कीतने साल के थे?
Dr. Jagdish Prasad : मैं भारतीय वन सेवा का निवृत अधिकारी हूँ. सन २०१७ में अधिक अग्र मुख्य वन संरक्षक (APCCFAPCCF) के पद से सेवा निवृत्त होने के बाद सन २०१८ में मैंने अपनी पहली पुस्तक समाज के परिपेक्ष में “Value of Forests” लिखी थी.
Deepak : जब आप नहीं लिख रहे हैं तो आप क्या करना पसंद करते हैं?
Dr. Jagdish Prasad : समाज कल्याण से सम्बन्धी साहित्य पढ़ना तथा सोशियल मीडिया पर पोस्ट/वीडियो देखन तथा पुराने संदेश सभर गाने सुनना पसंद करता हूँ.
Deepak : आपका परिवार आपके लेखन के बारे में क्या सोचता है?
Dr. Jagdish Prasad : मेरा परिवार चाहता है कि मैं केवल शौक मौज के लिए ही लेखन-पाठन करूँ.
Deepak : आप अपनी किताबों को बनाने में सबसे आश्चर्यजनक चीजों में से एक क्या थी?
Dr. Jagdish Prasad : मेरी एक कविता “जंगल न होगा तो?” तथा उससे निर्मित वीडियो ने गुजरात राज्य में प्रकृति शिक्षण के क्षेत्र में खूब धूम मचाई है. गुजराती भाषा में मेरे द्वारा लिखित “वावे गुजरात” गाने को श्री नरेन्द्र मोदी, तत्कालीन मान. मुख्यमंत्री, गुजरात राज्य और आज देश के सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय प्रधान मंत्री जी ने अपने यू ट्यूब चेनल पर उपयोग किया था.
Deepak : क्या आपके पास एक बेहतर लेखक बनने में मेरी मदद करने के लिए कोई सुझाव है? यदि ऐसा है, तो वह क्या हैं?
Dr. Jagdish Prasad : मेरा मानना है कि जिस विषय पर आप लिखना चाहें उस विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करना तो जरुरी है ही परन्तु लेखन शैली भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. रात को उस विषय पर चिंतन करते करते सो जाएँ, सुबह अच्छे विचार व लेखन शैली सहित रचना स्वतः ह्रदय से उदित होती है. कितनी बार अपनी रचना पर खुद को आश्चर्य और गर्व महसूस होता है. अर्थात रचना मेहनत की नहीं, अपितु दिल की तरंगों की अभिव्यक्ति होनी चाहिए.
Deepak : आपकी अगली पुस्तक कब लिख रहे हैं?
Dr. Jagdish Prasad : लेखन कार्य प्रगति में है, ईश्वर ने चाहा तो बहुत जल्द समाज कल्याण से संबंधित स्व-रचित “विचार संग्रह” तथा “गद्य सग्रह” पाठक गणों को लाभान्वित करेंगे.
Deepak : पाठको के लिए आपका संदेश क्या है?
Dr. Jagdish Prasad : ह्रदय स्पंदन कविता संग्रह में श्रंगार रस, देश भक्ति, राजनीति, सामाजिक, पारिवारिक, नैतिकता, चरित्र निर्माण, पर्यावरण, आध्यात्मिकता संबंधी महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर, काव्य रस प्रवाह में, ‘इनसाइट’ पढ़ने को मिलेगी. पाठक गण इस संग्रह की ५० कविताओ का लुत्फ़ उठाएं और प्यार से नवाजने की कृपा करें.
Review Interview With Dr. Jagdish Prasad.
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