Acharya Mahakavi Bhagwat Dubey ka Hindi Sahity ko Avadan by (Dr. Heena Pathak)

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आचार्य भगवत दुबे साहित्य में बड़ा नाम है क्योंकि इनका काम भी महत्वपूर्ण है। इन्होंने छह दशकों से अधिक काल तक साहित्य की बहुविध सेवा-साधना की है। ये केवल साहित्य-सर्जक ही नहीं है अपितु अपने-आप में एक संस्था है। इन्होंने नये-पुराने, प्रकाशित-अप्रकाशित सहस्त्राधिक साहित्यकारों को प्रोत्साहन और मार्ग-दर्शन के द्वारा साहित्य की जो स्वस्थ परंपरा को प्रतिष्ठित किया है, वह अनुपम है। यद्यपि घर का वातावरण साहित्यिक था तथापि इन्होंने साहित्य के लिए रास्ता स्वतः बनाया और इस पर चले भी। इनकी यात्रा शून्य से क्षितिज की रही है। आचार्य दुबे जी मूलतः कवि हैं। इन पर सरस्वती की असीम अनुकम्पा रही है। इनके काव्य संग्रह शब्द-विहंग (2001), बजे नगाड़े काल के (1997), शब्दों के संवाद (1996), स्मृति गंधा (1990), साँसों के संतुर (2014), ये व्याकुल वनपाँखी (1998) ये जहाँ समय-समय पर लिखे गये काव्य एवं गीत संगृहित हैं, वहीं ‘दधीचि’ (2017) पर रचित इनका महाकाव्य अमर रचना प्रमाणित हुई है। इनकी कविताएँ परम्परा को प्रोन्नत करती हुई प्रगतिशीलता के पथ पर समय के सच को सम्प्रेषित करने में सफल सिद्ध हुई है। आचार्य दुबे प्रकृति-सौंदर्य के संवाहक हैं और संस्कृति के संरक्षक और संवर्धक भी, इसलिए विकृति को विलोक कर व्यथित हैं। इन्हें देश की चिंता है। इसी वजह से इनकी कविताओं में राष्ट्र-भक्ति काव्य शक्ति बनकर प्रकट है।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : Hindi
  • Page : 383
  • Size : 5.5×8.5
  • ISBN-13 ‏ : ‎9789358232028
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years 
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Dimensions 5.5 × 8.5 cm

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