Adhuri Kitab, By(Vijay Sankar Dubey)

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“दो शब्द
आज का जो परिवेश है, चारो ओर धर्म और ईश्वर के नाम पर फैले पाखंड और अंधविश्वास की लहर सी दौड़ रही है। हो भी क्यों न, एक ओर अशिक्षा और दूसरी ओर पण्डे पूजारियों की धनप्रयोज्य नीति और उनके करतब ने समाज को बरगलाकर रख दिया है। उत्तम आचरण और नैतिकता समाप्त हो चुकी है, ब्राह्मणों ने वेद -शास्त्र पढ़ना छोड़कर स्त्रोत, चालीसा, कथा-वार्ता को अपना पेशा तो बनाया ही, अपने शिष्यों को भी वैसी ही शिक्षा देना प्रारंभ कर दिया। इस माथा-पच्ची के जमाने मे फुर्सत किसे है जो सत्य का अन्वेषण करे। हमने भी सर्विस करते तक वही किया, लेकिन रिटायर्ड होने के बाद ऐसा लगा कि इस सेक्टर मे काम किया जाय। हो सकता हैं हम राह भूले लोग, अपनी मूल सोंच, मर्यादा और नैतिकता की ओर वापस लौट जाएं, सो वेद-शास्त्रों का अध्ययन प्रारंभ किया। अंतर्मन को काफी ठेस लगी, गुरुमाता की प्रेरणा ने हमे एक अवसर दिया। बस उसी राह पर चलकर हमने एक छोटी सी पुस्तक तैयार की, या यूँ कहें कि परमात्मा ने ही पुस्तक का आकार ले लिया। इस छोटी सी पुस्तक का संदेश है ज्ञान। जानकारी तो हर जगह बाटी जा रही है और हमने भी पुस्तकों का ही सहारा लिया है, पर इसका उद्देश्य व्यावसायिक प्रयोजन बिल्कुल नही है, शायद पाठकों को पसंद आए। शुभकामनाओं सहित सादर प्रस्तुत है। शीघ्र की यदि गुरुमाता की कृपा और प्रेरणा बनी रही तो वेदों के अध्ययन की अगली कड़ी प्रस्तुत करने का प्रयास रहेगा।
(विजयशंकर)”

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : ‎  Hindi 
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355356727
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years And Up
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Dimensions 5 × 8 cm

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