Ai Jindgi Ruk Mat, By(Mrs. Padma Verma)

159.00

“काव्य संग्रह के विषय में
ज़िन्दगी की पगडंडियों से गुजरते हुए अपने शिक्षिका जीवन, सामाजिक और पारिवारिक अनुभवों को ‘इन कविताओं की पंक्तियों ‘ में समेटने की एक छोटी सी कोशिश है । जिंदगी में बहुत सी परेशानियाँ आती हैं । जिनका सामना कर हम आगे बढ़ते हैं । जिंदगी से बहुत उम्मीदें होती हैं । जो पूरे हो चाहे न हो हमें भरोसा बनाए रखना होगा । विश्वास पर ही दुनिया कायम है । हमें अपने विश्वास को यकीन में बदलना होगा । सूर्य की आराधना से बहुत शक्ति और सीख मिलती है । इन सब बातों को काव्य की पंक्तियों बाँधा है मैंने । कोरोना काल में सबकी जिंदगी किन कठिन पड़ावों से गुजरी । कितनो को दूसरा जन्म मिला । कोरोना काल में ही मैंने अपनी लेखनी को आगे बढ़ाया । कठिनाइयाँ कितनी भी आ जाए हमें अपनी जिंदगी को रुकने नहीं देना है । काव्य की पंक्तियों में जिंदगी को न रुकने की गुजारिश की गई है । अनबोलते प्राणी पशु – पक्षी, पेड़ – पौधे सभी को अपने जीवन जीने का समान अधिकार है । ये अनबोलते प्राणी हमारी बहुत मदद करते हैं । फूलों की जिंदगी से हमें हँसकर जीवन जीने का तरीका सीखना चाहिए । किस प्रकार वे अपने दुखों को समेट कर खुशबू फैलातें हैं । हमें भी उनकी हिफाजत तथा सम्मान करना चाहिए । इनको मैंने शब्द रूपी फूलों के द्वारा काव्य रूपी माला पिरोने की कोशिश की है । उम्मीद है पाठको प्रयत्न और चाह से बनी कविताओं की माला यानी मेरी काव्य संग्रह “” ऐ ज़िन्दगी रुक मत “” आपको पसंद आएगी। ईश्वर तथा प्रिय पाठकों की शुभकामनाओं की प्रार्थी ।
पद्मा वर्मा (नीमा)
लिटरेरी कर्नल पुणे

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : ‎Hindi
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355358592
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years And Up
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

उपाधि मिली है । ऑनलाइन काव्य पाठ सीजन 1 में मेरा द्वितीय स्थान रहा है। काव्य पाठ का विवरण तीन प्लैटफॉर्म पर प्रकाशित है । एक कहानी संग्रह प्रकाशन हेतु तैयार है । कुछ कविताऍं विभिन्न ई बुक में प्रकाशित हुई हैं । अपने स्वर्गीय अम्मा -पापा और भैया की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील हूँ । लिखने की कला को निखारने में ‘पति और मेरे दो बच्चों’ ने सदा प्रोत्साहन दिया। बच्चों का कहना है -दूसरों के लिए तो बहुत की, अब अपने ‘शौक’ को पूरा करो और इन पंक्तियों का मान रखते हुए, मैंने इस क्षेत्र में कदम आगे बढ़ाया और ऐसा करते हुए मुझे अपार खुशी मिल रही है । मैंने काव्य रूपी पौधे सींचा और खुशबू फैलाई है । मैं तहे दिल से पति और बच्चों का शुक्रिया अदा करती हूँ । स्वर्गीय अम्मा – पापा, भैया को शत् शत् नमन। मेरा विश्वास है- “”इच्छा और लगन हो तो, सीखने – सिखाने तथा कलम चलाने के लिए उम्र और परिस्थितियां कभी आड़े नहीं आ सकतीं । सफलता खुद ब खुद रास्ता दिखाती चलती है ।

शुभकामनाओं की प्रार्थी ।
पद्मा वर्मा
(नीमा)
‘लिटरेरी कर्नल’
हिन्दी शिक्षिका
( सेवानिवृत्त )

Additional information

Dimensions 5.2 × 8.2 cm

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