Aur Bhi Kuch Kahna Hai( Kavita Sankalan), By(Deepankar Jena)
₹180.00
“जीवन के साथ साहित्य का अटुट संबंध है । जहाँ तक प्रश्न कविता का है वह तो हमारे अंत: स्थल की वाणी है । प्रस्तुत कविता संग्रह और भी कुछ कहना है….. कवि दीपंकर जेना की सोच, विचार और भावधारा को सब के सामने लाने का उपक्रम है । समकालीन परिदृश्य में तुकबंदी को कुछ लोग कविता मानने लगे हैं, लेकिन यह संग्रह उससे कोसों दूर है । इसमें मानव की पीड़ा, टीस, भोगे हुए यथार्थ को अभिव्यक्ति मिली है ।
आज के समाज में घट रही घटनाओंको कवि ने प्रतीक और बिंब का सहारा लिए एकदम सामान्य बोलचाल की भाषा में शब्द का जामा पहनाया है । यही इस संग्रह की खूबी है जिससे पुस्तक को हाथ लिए पाठक सारी कविताओं को चाहत भरी नजर से एक ही सांस में पढ़ लेना चाहता है ।
जीवन के साथ साहित्य का अटुट संबंध है । जहाँ तक प्रश्न कविता का है वह तो हमारे अंत: स्थल की वाणी है । प्रस्तुत कविता संग्रह और भी कुछ कहना है….. कवि दीपंकर जेना की सोच, विचार और भावधारा को सब के सामने लाने का उपक्रम है । समकालीन परिदृश्य में तुकबंदी को कुछ लोग कविता मानने लगे हैं, लेकिन यह संग्रह उससे कोसों दूर है ।
इसमें मानव की पीड़ा, टीस, चीन्ता, फिक्र, उलझन, भोगे हुए यथार्थ को अभिव्यक्ति मिली है ।
आज के समाज में घट रही घटनाओं को कवि ने प्रतीक और बिंब का सहारा लिए एकदम सामान्य बोलचाल की भाषा में शब्द का जामा पहनाया है । यही इस संग्रह की खूबी है जिससे पुस्तक को हाथ लिए पाठक सारी कविताओं को चाहत भरी नजर से एक ही सांस में पढ़ लेना चाहता है ।
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- ISBN-13 : 9789355359476
- Reading Age : 3 Years And Up
- Country Of Origin : India
- Generic Name : Book
100 in stock (can be backordered)
Description
श्री दीपंकर जेना पेशे में अंग्रेजी प्राध्यापक हैं, जो ओड़िशा सरकार के उच्च शिक्षा विभाग में तीस सालों से काम करते आ रहे हैं । उनका जन्म १९६७ में ओड़िशा के जगतसिंहपुर जिले के एक समृद्ध गांव कंटिलो में हूआ । बचपन से पढ़ाई के साथ-साथ लेखन के प्रति उनकी गहरी रूचि थी । महज बारह या तेरह साल की उम्र में उन्होंने लेखन आरम्भ किया । हाईस्कूल में पढ़ते वक्त ‘‘उन्मेष’’ नाम की एक छोटी पत्रिका भी प्रकाशित की । साहित्य यात्रा में आगे बढ़ते-बढ़ते अपनी मातृभाषा ओड़िआ सहित अंग्रेजा और हिन्दी में भी लिखना शुरू किया । उनके बहुत लेख अलग-अलग पत्र पत्रिका, अखबार, साझा संकलन आदि में प्रकाशित हुए हैं । उनके लेख में यथार्थबाद, छायावाद, प्रकृति वर्णन और आम आदमी के रोजमर्रा जीवन की झलक देखने को मिलती है, जो उन्हे दूसरों से अलग करती है । यह कविता पुस्तक उनका पहला कविता संकलन है ।
Additional information
Dimensions | 5.5 × 8.5 cm |
---|
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.