Band Taalon ki Baat by Narendra Kumar Kulmitra
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” नरेंद्र कुमार कुलमित्र की कविताओं में मानवीय चिंता भीतर और बाहर, दोनों स्तरों पर है। दोनों स्तरों पर अपने समय से एक साथ वह मुठभेड़ करती है। बाहरी परिवेश में धर्म, जाति, सम्प्रदाय का कानफोडू शोर है। मनुष्य होने की व्यापक चेतना अस्मिता की चीख-पुकार में बदल रही है। धनबल और बाहुबल का निर्लज्ज प्रदर्शन युद्धोन्माद में ढल रहा है। समाज भीड़तंत्र को लोकतंत्र के रूप में अंगीकार कर चुका है। अत्याचार-पीड़ित स्त्रियों के प्रति संवेदना एक रस्म बन चुकी है। किसी का मरना आकस्मिक नहीं लगता। रौशनी के रूप में अँधेरा बेचा जा रहा है। जीने के लिए मनुष्य को न जाने कितनी बार मरना पड़ता है। अहं से भरे लोग प्रेम को बर्दाश्त नहीं कर पाते; बुद्धि और विवेक से शून्य होकर दुनिया अंधकार में डूबने लगी है। छल-फ़रेब दैनन्दिन अभ्यास बन चुका है और क़तई गर्हित नहीं जान पड़ता। यही वह अनुभव-संसार है जो उनकी कविता के भीतर से उभरता है।
जय प्रकाश”
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- Page : 156
- Size : 5.5×8.5
- ISBN-13 : 9789358230680
- Reading Age : 3 Years
- Country Of Origin : India
- Generic Name : Book
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Additional information
Dimensions | 5.5 × 8.5 cm |
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