Chir Suhagan, By(Dr. Kamlodvab Jha)
₹101.00
किताब मूलतः एक काव्य संग्रह है जिसमें कवि अपने प्रेमिका के आजीवन सुहागन होने की कामना के साथ-साथ अपनी विरह वेदना का वर्णन किया है। इस पुस्तक के काव्य के माध्यम से कवि अपने पाठक को आदर्श प्रेम से अवगत करवाया गया है। यह काव्य संग्रह अपने साथ अनेकानेक अपनी प्रेमिका के सुखी होने का रस और उससे उत्पन्न अपने वेदना को काव्य रूप में ढालने की कोशिश की है। काव्य संग्रह की शुरुआत एक मार्मिक लघु कथा कहते हुए कवि अपने दोस्त को संबोधित किया है जिसमें ग्रामीण जीवन का चित्रण किया है।
Publisher : Booksclinic Publishing
Language : Hindi
ISBN-13 : 9789355358080
Reading Age : 3 Years And Up
Country Of Origin : India
Generic Name : Book
100 in stock (can be backordered)
Description
“कवि डा. कमलोद्भव झा मूलतः रसायन शास्त्र के प्राध्यापक हैं, जो आर. एन. ए. आर. महाविद्यालय, समस्तीपुर, बिहार में कार्यरत हैं। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय, पटना से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त कर, ल. ना. मि. विश्वविद्यालय, दरभंगा से शोध का कार्य किये।
उन्होंने रसायन शास्त्र में लगभग दस पुस्तक की रचना किये हैं।
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Additional information
Dimensions | 5.2 × 8.2 cm |
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