Ek Nadi Saa Man,(Geet Sangrah), By(Navneet Kamal)

199.00

“एक नदी-सा मन” नदियों और मानव का आदिम संबंध रहा है । नदी, पहाड़, जंगल, गाँव, खेत, पगडंडियाँ – हमेशा ही मुझे अपनी ओर खींचते रहे, आकर्षित करते रहे । नदियों पर पढ़़ते-लिखते, देखते-समझते, जाने कब मेरा मन नदी-सा होने लगा और वही संवेदना होंटों पर लयबद्ध होकर आती रही, गीत बनकर प्रस्फुटित होती रही । एक नदी-सा मन’ प्रहवमान संवेदना को गीतों में ढालने का सहज उपक्रम रहा है । ये गीत नदी के सादृश्य होकर लिखने के लिए प्रेरित करते रहे । इनमें कहीं नदी गुनगुनाती है तो कहीं चुप है । इनमें कहीं अविरल प्रवाह है तो कहीं बदलते पर्यावरण के प्रभाव से साँसें तोड़़ रही है । लेखन मात्र भावना की अभिव्यक्ति का नाम नहीं है । यह तो बुद्धि, विचार, भाव और कला का समन्वय अथवा संयोजन होता है । मैं यूँ ही गुनगुनाते हुए इस मोड़़ तक आ गयी कि भावों को शब्द देकर नये प्रवाह में बहते हुए मात्राएँ गिनने लगी । बदलते हुए परिवेश की विद्रूपताएँ संस्कृति एवं संस्कारों पर अटूट आस्था, समय के सवालों से टकराते हुए भारतीय जीवन में गीतों की उपस्थिति मन को आह्लादित करते हैं । अंतस की सघन अनुभूति, गहरे भावबोध रागात्मकता, संवेदना और संवाद करती हुई अपेक्षाओं के साथ-साथ संगीतात्मक सौंदर्य ही गीत की आत्मा को निरूपित करते हैं और उन्हें प्रभावशाली बनाते हैं । यह संग्रह आपके हाथ सौंपते हुए अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है, रचनाएँ कैसी हैं, इसका निर्णय तो सुधी पाठक ही करेंगे । आप सबकी अमूल्य समीक्षाओं की प्रतीक्षा में ।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : Hindi
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355359711
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years And Up
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

नवनीत कमल का जन्म दंड़कारण्य के वन्यप्रांतर में ग्राम इंजरम (कोंटा) जिला सुकमा छत्तीसगढ़ के शिक्षक परिवार में हुआ, पिताजी दादाजी ताऊजी सभी शिक्षकीय पेशे मे ही थे । बालपन आदिम जनजातियों के बीच मे गुजरा, पिता के प्रोत्साहन से मेट्रिक तक की पढ़ाई नियमित रुप से कर पायी । 17 वर्ष के उम्र मे ही विवाह बंधन मे बांध दिया गया । यहीं से शुरु होता है संघर्षों का नया दौर, छोटी उम्र मातृत्व सुख और शिक्षक पद पर नियुक्ति, घर की जिम्मेदारियों के साथ बच्चों का पालन पोषण, नौकरी के दायित्वों का निर्वहन करते हुए बतौर स्वाध्यायी शिक्षार्थी के रुप मे उच्च शिक्षा मे प्रवेश कर हिन्दी साहित्य एवं लोक प्रशासन मे एम .ए.एवं बी एड. परीक्षा उत्तीर्ण किया । पिताजी मे साहित्यिक अभिरुचियों के कारण लेखन के बीज बालपन में ही अंकुरित हो गए थे । मूलतः तेलुगु भाषी होने के बावजूद हिंदी भाषा से विशेष लगाव रहा, यही लगाव धीरे – धीरे एक वट वृक्ष की तरह अपनी जड़ें मजबूत करता रहा, और नियमित रूप से लिखने लगी । अब समय बदल गया परिस्थितियाँ बदल गई, सीखने की चाह मे कमी नही आया । डिजिटल प्लेटफार्म में सीखने की ललक बढ़ी, उत्कृष्ट प्रतिक्रियायें मिली । अब नवनीत कमल का क्षण – क्षण समर्पित है । अधययन अध्यापन और लेखन के लिए….।

Additional information

Dimensions 5.5 × 8.5 cm

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