Ganit Ka Dar Kaise Bhagayen ? by (Premsagar Kashyap)

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यह पुस्तक उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षक और विद्यार्थियों को केंद्रित करके लिखी गयी है। गणित विषय में प्रायः उच्च प्राथमिक स्तर से अमूर्त अवधारणाएँ शुरू होती है। यदि शुरुआत में ही बच्चों के मस्तिष्क में अमूर्त अवधारणाओं को समझने की शक्ति पैदा कर दिए जाएँ तो वह बच्चों के लिए गणित विषय के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित होगी। गणित विषय को अधिक – से – अधिक सरल विधि से बच्चों को समझा सकने के लिए बिना लागत वाली नयी – नयी शिक्षण अधिगम सामग्री बनाने पर जोर दिया गया है। शिक्षकों और विद्यार्थियों को इसमें कुछ ऐसे नए शिक्षण अधिगम सामग्री के बारे में जानने के लिए मिलेगी जो बिना लागत वाली होकर भी बहुत अधिक उपयोगी लगेगी। अधिकांश शिक्षकों और विद्यार्थियों के मस्तिष्क को कुरेदने वाले सवाल जैसे- ऋण और धन संख्या के गुणन करने से ऋण क्यों होता है ? ऋण – ऋण के गुणा करने से धन कैसे होता है ? – 5 + 1 = – 4 को प्रायोगिक रूप से कैसे समझाएँ जा सकते हैं ? इस पुस्तक में इनका हल प्रायोगिक तरीके से समझाया गया है। ऋण और धन चिह्न के व्यावहारिक अर्थ को स्पष्ट किया गया है। मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक शिक्षक और विद्यार्थियों दोनों के लिए उपयोगी साबित होगी।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing (01 December 2022)
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 93 pages
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355356499
  • Reading age ‏ : ‎ 3 years and up
  • Country of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

लेखक परिचय लेखक का जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के जाँजगीर – चाम्पा जिले के बम्हनीडीह विकासखंड के अंतर्गत ग्राम सेमरिया में 18 मई सन1976 को हुआ है। इन्होने प्राथमिक शिक्षा और उच्च प्राथमिक शिक्षा अपने गाँव में ही पूरा किया है । 10+2 की शिक्षा को अपने गाँव से दस किलोमीटर फर ग्राम – बिर्रा के दीवान दुर्गेश्वर सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिर्रा में पूरा किया। स्नातक की शिक्षा को गणित विषय में ठाकुर छेदीलाल शासकीय महाविद्यालय जांजगीर से पूरा करने के बाद स्नातकोत्तर की शिक्षा को गणित विषय में सी एम डी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर से पूरा किया। बी एड को इग्रू से पूरा किया है। वर्तमान में यह शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिर्रा में व्याख्याता (गणित ) के पद पर पदस्थ हैं। इनकी पहिली रचना “माँ की ममता” नाम की उपन्यास है जो हमारे ही प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है । अध्यापन के साथ साथ इनका पठन पाठन और गद्य लेखन में गहरी रूचि है। राजिम रायपुर से प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक अखबार ‘खबरगंगा’ में लगातार विचार लिखते रहते है ।

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Dimensions 6 × 9 cm

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