Gitamritam(Jivan Vigyan), By(Rajeshwar Khare)
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कर्म केवल अपने लिए ही न किए जाएं बल्कि आपके कर्मों से सभी का लाभ हो इस प्रकार कार्य किए जाएं और अपने को कर्ता न समझा जाए । क्योंकि उस कार्य की पूर्ति के लिए बिना परमात्मा और प्रकृति की सहायता के कार्य संपन्न नहीं हो सकते है, इसलिए जब व्यक्ति अपने को कर्ता मान लेता है तो उससे प्रारंभ में ही भूल हो जाती है । जब आप स्वयं कर्ता नहीं हैं तो आप भोक्ता भी अकेले नहीं हैं, इसलिए जो कार्य किए जाएं वह सब की भलाई के लिए किए जाएं । इस प्रकार जो भी कार्य किए जाएंगे उससे आपको कर्म बंधन नहीं होगा और उस क्रिया से यदि कोई पाप होता है तो उसके भी आप उत्तरदायी नहीं हैं इसलिए निर्भय होकर ईश्वर के लिए ईश्वर की इच्छा से मनुष्य को कार्य करते रहना चाहिए इसी को हम कर्म सन्यास योग कहते हैं ।
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- ISBN-13 : 9789358230116
- Reading Age : 3 Years
- Country Of Origin : India
- Generic Name : Book
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Additional information
Dimensions | 5 × 8 cm |
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