Jeevan – Dhara(Kavya Sangrah), By(Sunil Kumar Satyarthi)

340.00

“इस किताब में कविता की अधिकांश रचनाएँ जीवन एवं समाजिक व्यवस्था को ध्यान में रखकर किया गया है।
इसलिए इसका नाम जीवन धारा काव्य संग्रह रखा गया है।
आदमी इतना शिक्षित होने के बाद भी वह जीवन को नहीं समझ पा रहे हैं। हमेशा से अंधविश्वास, पाखंड का शिकार होते दिखाई दे रहे हैं। समाज की रूढ़िवादी मान्यताएँ को ढोते नजर आ रहे हैं। जबकि समाज को एक नई विचारधारा की नींव रख देनी चाहिए।
इस किताब को पड़कर आदमी, आदमी होने का बोध को समझ पाएंगे।
जीवन के प्रति कई क्रांति को जन्म देगे। उत्साहित होकर मंजिल की ओर पग बड़ाएगे।
कुछ कविताएँ परमात्मा पर लिखी गई है, जिसे पड़कर परमात्मा के द्वार खटखटाया जा सकता है। कुछ कविताएँ बच्चों को उत्साहित करने के लिए लिखा गया है, क्योंकि बच्चे जब उत्साहित होगें तभी वह जीवन के ठीक- ठीक अर्थों को समझ पाएंगे।
जो भी हो जीवनवादी आदमी के लिए यह किताब महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।”

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : ‎Hindi
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355356079
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years And Up
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

 

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Description

“मैं बी०ए० (हिन्दी आर्नस्) का विधार्थी हूँ, जिसका पड़ाई इग्नू से हो रहा है। मेरा गाँव बिहार के बांका जिला में है। वर्तमान में मैं अपना कोचिंग संस्थान चलाता हूँ, जिसमें नौवीं एवं दसवीं के विधार्थी को पड़ाता हूँ। मेरा प्रारंभिक शिक्षा गाँव से एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा भागलपुर से हुई है।
मुझे कविता लिखने और पड़ने में काफी आनंद आता है, इसलिए खाली समय में घर पर ही लेखन का कार्य करता हूँ। मेरा एक कविता की पुस्तक प्रेयसी काव्य- धारा बुक्सक्लिनिक से ही प्रकाशित हुई है, जो प्रेम फर लिखा गया है।
इसके अलावा कई साझा संकलन में भी मेरा कविताएँ प्रकाशित है। इसमें उन्नति पथ, श्रद्धा सरोवर, मल्लिकाओं की भावना, मन्तव्य जैसे पुस्तक है।”

Additional information

Dimensions 5.5 × 8.5 cm

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