Kiranon kee Prateeksha , Ek Sangrah BY(Atama Ram Yadav)
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“”रोजमर्या के जीवन में जो कुछ भी घटता है, उसे काव्यात्मक संस्मरण जैसा उकेरदेने में आत्माराम यादव को महारत हासिल है। उनकी कविताओं में कहानियों ओर संस्मरणों की गहराई है जो किसी भी पाठक को आपाद मस्तक डुबो लेने में समर्थ ओर सक्षम है।
वैसे तो “किरणों की प्रतीक्षा”” काव्य संकलन की सभी कविताए एक से बढ़कर एक है। गोस्वामी तुलसीदास महाराज की ये पंक्ति इन कविताओं के बारे में बड़ी सटीक बैठती है कि “”को बड़ छोट क़हत अपराधू।“” अर्थात कौन सी कविता अच्छी है ओर कौन सी साधारण, यह कहना भी अपने आप में एक अपराध है, क्योकि कवि के लिए तो वे अच्छी ही है, तभी तो वे उन्हे लिपिबद्ध करने के लिए प्रस्तुत हुये। कवि के लिए तो उसकी तमाम कविताए एक सी ओर एक से बढ़कर एक ही होती है, किन्तु पढ़ने के बाद जिन कविताओं ने मुझे अधिक प्रभावित उनमे से एक है- “”मैं एक ओर जनम चाहता हूँ”” कविता मुझे इसलिए अच्छी लगी, क्योकि उसमें प्रेम की असफलता को बताया गया है ओर प्रेम की पूर्णता उसकी असफलता में ही निहित होती है। हीर राँझा, सस्सी पुन्नु, सोहनी महिवाल,शीरी फरियाद ओर लैला मजनू ऐसी ही प्रेम की जीवंत कविताए है।
”
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- Paperback : 181 pages
- ISBN-13 : 9789390192953
- Reading age : 3 years and up
- Country of Origin : India
- Generic Name : Book
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Description
“आत्माराम यादव
संपादक – बी॰पी॰पालीवाल
सहायक संपादक – लेखा यादव, बीएससी,पीजीडीसीए, एलएलबी,
आवरण चित्र- (नर्मदा जी, कोरीघाट होशंगाबाद का मनोरम दृश्य)
आवरण चित्रकार/केमरामेन – हितेश थुदगर…
फ्रेन्डस् स्टूडियो होशंगाबाद…
प्रिय पिताजी श्रीजगन्नाथ यादव
व ममतामयी
माताजी श्रीमति भागवती देवी यादव
के
पावन चरणकमलों में सादर समर्पित।
ये उनकी ही दुआयेँ है जहां-
“”माता पिता के चहेरे पर
मैंने पढ़े है
सारे वेद-पुराण
उनके चरणों में
मेरा व्यक्तित्व
सृजन कर रहा है
वेदनाओं-संवेदनाओं को
उनकी ममतामयी छाव में
बितायें पलों में
पीव मेरी कवितायें जन्म ले रही है।“””
Additional information
Dimensions | 5.5 × 8.5 cm |
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