Kirti Kavya Manjari(Hindi Kavya Sangrah), By(Rajendra Kumar Pandey)
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“मन अभी भी अशांत है और मेरा मन यह मानने को तैयार नहीं है कि मेरी जीवन संगिनी मुझसे हमेशा के लिए दूर चली गई है। मुझे न जाने क्यों ऐसा लगता है कि वह यहीं कहीं मेरे आसपास अदृश्य रूप से विद्यमान है । और मन फिर व्याकुल हो जाता है तथा हृदय से शब्द फूट पड़ते हैं। ऐसे में मैं थकहार कर परम पिता परमेश्वर की शरण में जाकर बैठ जाता हूँ, और प्रार्थना करने लगता हूं। और वह प्रार्थना भी कविता बन जाती है। इसमें कुछ अन्य कविताएं भी है जो मन को इधर उधर बहलाने के उद्देश्य से लिखी गई हैं ।
इन सभी भावों के ताने बाने से बुनी हुई कविताओं का संग्रह आपके हाथ में मेरी तृतीय कृति तथा द्वितीय काव्य संग्रह “कीर्ति काव्य मंजरी” के रूप में समर्पित है।”
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- ISBN-13 : 9789358230109
- Reading Age : 3 Years
- Country Of Origin : India
- Generic Name : Book
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Description
इनकी कहानियों की तरह इनकी कविताएं भी विविध भावों से रंगी हुई हैं । इनकी प्रथम कहानी संग्रह “टूटते तटबंध” जहाँ बहुत ही लोकप्रिय रही है, उसी तरह इनकी अपनी अर्धांगिनी की स्मृतियों को समर्पित इनकी काव्य संग्रह “कीर्ति स्मृति” भी प्रशंसित हुई । अपने जीवन की आंधियों को झेलते हुए तथा स्वयं को संभालते हुए पाण्डेय जी सतत् साहित्य साधना में लगे हुए हैं । इससे उन्हें जहाँ संबल मिला वहीं जीवन जीने की प्रेरणा भी मिली । इस काव्य संग्रह “कीर्ति काव्य मंजरी” की कविताओं में जहाँ मधुर स्मृतियाँ हैं, प्रेम है, अथाह दुखानुभूति है, तो प्रभू को समर्पित भावनायें हैं । सरल सहज भाषा शैली में लिखी गई इनकी कविताएं भले ही छंद बद्ध नहीं हैं पर गेयता से परिपूर्ण होते हुए किसी से कम नहीं हैं ।
Additional information
Dimensions | 5 × 8 cm |
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