Kolar Pakad Sanskriti BY (Keshav Shukla )

135.00

“हर लिखने-पढ़ने वाले को इस बात की खुशी होती है कि उसकी रचनाओं की किताब छपे। जाहिर है, मुझे भी हो रही है। मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि अपनी बात कहां से शुरू करूं? साहित्य में खासकर व्यंग्य लेखन से पत्रकारिता में आया और अब पत्रकारिता से साहित्य की ओर लौट रहा हूं। बात लौटने की करूं या आने की? तीन दशक पूर्व जब व्यंग्य के पितामह हरिशंकर परसाई एवं उनके समकालीन कमलेश्वर,रविन्द्र नाथ त्यागी, शरद जोशी आदि मौजूद थे और उनकी कलम की धार से आकाश पर शब्द उभर रहे थे जिनसे प्रेरणा पाकर मैंने लिखना शुरू किया। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं ने मेरी भोथरी कलम को भी महत्व दिया और मैं लिखता चला गया।
फिर एक मोड़ आया और मैं सब कुछ छोड़ आया। सच्चाई का मोड़ हर एक के जीवन में आता है तब उसके सामने बित्ते भर का पेट और बलिश्त भर का परिवार सामने होता है। मैंने इसलिए चुना भी वही रास्ता जिससे सिर्फ पेट भर सकता था और किसी तरह परिवार पल सकता था। मैं किसी विभाग में बड़ा सरकारी अफसर हो सकता था, मैं किसी चीज का बड़ा व्यापारी भी हो सकता था पर चुना मैंने कागज और कलम का रास्ता। इस रास्ते पर चलकर मैं प्रशंसक बहुत पाया पर शुभचिंतक कम।
तीन दशक पूर्व नगर में साहित्यिक संस्थाएं भी कम थीं पर आज ढेरों हैं। मेरा ही वेबसाइट बदल गया था। इसमें बिलासा कला मंच ने मेरी प्रथम कृति “”शनिचरी मत जइयो”” का विमोचन कराया। अब वही दूसरे व्यंग्य-संग्रह “”कालर पकड़ संस्कृति”” को प्रकाशित करने जा रहा है। मंच के हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि वह पुस्तक बिकेगी या नहीं बिकेगी? इसकी चिंता किए बगैर इसका प्रकाशन कर रहा है। दूसरी बड़ी बात यह भी हुई कि मंच ने मेरे भीतर के सोए हुए व्यंग्य के कुंभकरण को जगा दिया है।
इस संग्रह को प्रकाशित करने के लिए डॉक्टर सोमनाथ यादव संस्थापक बिलासा कला मंच, बिलासपुर के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।
इस संग्रह की रचनाएं आपको गुदगुदाती हैं, रुलाती हैं, यह मैं नहीं कह सकता क्योंकि रचनाएं पुरानी है और युग नया। यह बात जरूर ढांढ़स बंधाती है कि परिस्थितियां वही हैं, विकृतियां, विद्रूपताएं वही हैं। सभी चीजें वही हैं पर उनकी टेकनीक बदल गई है। पत्र की प्रतीक्षा हर इंसान को रहती है, मुझे भी रहेगी क्योंकि वही सुख-दुख के संवाहक बच गए हैं।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 111 pages
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9788194696131
  • Reading age ‏ : ‎ 3 years and up
  • Country of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

100 in stock (can be backordered)

SKU: book465BCP Category:

Description

“संक्षिप्त परिचय
केशव शुक्ला
पिता-स्व.जगदीश प्रसाद शुक्ल
माता-स्व.कमला देवी शुक्ल
जन्म तिथि-6 अक्टूबर 1953
स्थान-बिलासपुर, छत्तीसगढ़
शिक्षा-बी.ए., एल.एल.बी.
संपादन सहयोग-मड़ई, बिलासपुर
प्रकाशित-शनिचरी मत जइयो (व्यंग्य संग्रह)
कॉलर पकड़ संस्कृति (व्यंग्य संग्रह) सवेरे-सवेरे
प्रकाशनाधीन-बालगीत, घोड़ादाना स्कूल (व्यंग्य)/चलते-चलते
बोनसाई वसंत (लघु व्यंग्य संग्रह), द्वितीय संस्करण शनिचरी मत जइयो और कॉलर पकड़ संस्कृति।
आकाशवाणी रायपुर से अनेक व्यंग्य लेखों का प्रसारण, अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित।
सम्मान–रावत नाच महोत्सव आयोजन समिति बिलासपुर
बिलासा कला मंच बिलासपुर
राष्ट्रीय व्यंग्य सम्मेलन में व्यंग्य यात्रा (पत्रिका) नई दिल्ली से सम्मानित
राष्ट्रीय उद्योग एवं व्यापार मेला में ’छत्तीसगढ़ रत्न’ सम्मान।
प्रदेश सक्रिय पत्रकार संघ द्वारा सम्मान।
कान्यकुब्ज ब्राम्हण समिति रायपुर द्वारा सम्मान।
अर्णव कलश एसोसिएशन नागपुर ’महाराष्ट्र’ साहित्य के दमकते दीप साहित्यकार सम्मान
समन्वय साहित्य समिति ’समन्वय रत्न’ बिलासपुर सहित अनेक साहित्य संस्थाओं, समाज सेवी संगठनों द्वारा सम्मानित।
संप्रति-बिलासपुर टाइम्स (सांध्य दैनिक पूर्व उपसंपादक)
दैनिक भास्कर बिलासपुर(पूर्व उपसंपादक)
दैनिक हरिभूमि बिलासपुर (पूर्व उपसंपादक)
वर्तमान में-साप्ताहिक चंदन केसरी, बिलासपुर (कार्यकारी संपादक)।
रावत नाच महोत्सव समिति, भारतेंदु साहित्य, प्रगतिशील लेखक संघ, समन्वय साहित्य समिति, काव्य भारती साहित्य अन्य से सतत् जुड़ाव।
पता–37पत्रकार कालोनी रिंग रोड क्रमांक-2, गौरव पथ, आर.बी. हॉस्पिटल के समीप, बिलासपुर, छत्तीसगढ़। पिन- 495001”

Additional information

Dimensions 5.5 × 8.5 cm

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.