Mahapurushon Ka Mahagyan Sidhon Ki Sidh Vani ,By( M.P. Verma )
₹550.00
Publisher : Booksclinic Publishing
Language : Hindi
ISBN-13 : 9789355352859
Reading age : 3 years and up
Country of Origin : India
Generic Name : Book
100 in stock (can be backordered)
Description
” लेखक का परिचय
लेखक दिव्य बन्धु परमार्थ को उपलब्ध चैतन्य योगी हैं। उन्होने अपने जीवन को चैतन्य की प्राप्ति हेतु उत्सर्ग कर दिया। जिससे प्रसन्न होकर चैतन्य स्वरूप परमात्मा दिव्य बन्धु के शरीर रूपी मन्दिर में आन्तरिक गुरू के रूप में प्रकट होकर स्वंय अपना ज्ञान दिव्य बन्धु को अनभूत कराये हैं। इन्होने अपने सम्पूर्ण आध्यात्मिक यात्रा का वर्णन अपनी पुस्तक ‘मेरा ईश्वर लाभ’ में किया। अपने आध्यात्मिक यात्रा के दौरान उन्हे जिन-जिन ‘सिद्धो की सिद्धवाणी’ से प्रेरणा मिली। उन सबका संग्रह उन्होने इस ‘सिद्धों की सिद्धवाणी’ में किया है। इस पुस्तक में दिव्य बन्धु अपने अनुभव से आध्यात्म के सार अंश को बड़े ही सरल, सारगर्भित और प्रांजल भाषा में साधारण जनों, साधकों तथा अनुभवी पुरुषों के लिये भगवत् प्रेरणा से प्रस्तुत किया है। जिसके द्वारा मूल संदेश यह दिया गया है कि सभी का पुज्य परम् सत्ता एक ही है। जिसको सभी धर्मो के सिद्धजनो ने अपने अन्तर में अनुभव करके शब्दों में व्यक्त किया है। परम सत्ता का बोध स्वसंवेद्य/स्वअनुभूत है। उसी परम सत्ता को अलग-अलग धर्मो, सम्प्रदायों तथा पंथों के साधकों ने अलग-अलग शब्दों, नामों आदि से जगत् को परिचित कराया है। इसलिये उस परम सत्ता को किसी ने ईश्वर, किसी ने अल्लाह, किसी ने वाहेगुरू, किसी ने शून्य, किसी ने गाड आदि कहा है। वही परम सत्ता अपने साधकों के समक्ष उनके चाहत के अनुसार साकार (चेतन की घनीभूत अवस्था) तथा निराकार (आकार शून्य प्रतीति/बोध) रूप में प्रकट होती है। वही परम सत्ता योगी की आत्मा, भक्त के भगवान तथा सिद्ध के परमात्मा के रूप में अनुभूत होते हैं। उस परम सत्ता का यह अलग-अलग नाम भले ही देखने में आ रहा है। किन्तु इन तीनों के रूप में वही परम सत्ता योगियों के समक्ष आत्मा के रूप में, सिद्धों के समक्ष परमात्मा के रूप में तथा भक्तों के समक्ष भगवान के रूप में प्रकट होते हैं।
Additional information
Dimensions | 8 × 11 cm |
---|
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Reviews
There are no reviews yet.