Manav Path : Geeti kavy by (Akram Khan)

170.00

अप्प दीपो भव’ और ‘चरैवेति-चरैवेति’ उद्घोष वाक्य की व्याख्या है ‘मानव-पथ’ अपना दीपक स्वयं बनो। निरन्तर चलते रहो-चलते रहो । कवि अकरम खान की लिखी मनमोहक गीत पंक्तियां हृदय के तारों को झंकृत करती हैं। यह प्रेरक गीति काव्य कृति लय और गेय की सांगीतिक गूंज और भाव अभिव्यक्ति से संयुक्त है। विदित हो कि बाल, किशोर और युवा वय जीवन की एक स्वर्णकाल वय है। विश्व की सभी चीजों को जानने की जिज्ञासा, उत्साह, उमंग सहित अनेक खूबियों से लबरेज । इनके पथ प्रदर्शक बड़ों को इनमें बड़ी आशाएं दिखती हैं। देश के इन कर्णधारों के लिये चाहिये प्रतिभा के विकास, विवेक जागृति, रचनात्मकता और ऊर्जा के नियोजन की सच्ची दिशा । ये रंग-बिरंगे खिले फूल सोपान तय करने को बेताब दिखते हैं, साथ ही कृति में पायेंगे आप मधुर पद रचनाओं को सम्प्रेषित करते कलात्मक चित्र सज्जा भी । मीठी सरल भाषा और तुकान्त शैली में प्रस्तुत इस कृति की गुणवत्ता पर खास ध्यान रखा गया है। यह दीर्घ गीत पुस्तक बहुत पठनीय और उपयोगी है। आपके लिये खास तौर से ‘मानव-पथ’ को पढ़ना इसलिये भी जरूरी है, क्योंकि यह पथ ढूंढते नये लोगों को सुपथ की पहचान कराती है ।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : Hindi
  • ISBN-13 ‏ : ‎9789358230079
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years 
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Dimensions 5 × 8 cm

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