Mastishk Tarange BY (Vijay Narayan Sidar)

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“मानव मस्तिष्क शरीर का व्यस्त अंग होता है, जहाँ निरंतर तरंगों के भाँति असंख्य एवं अनगिनत विचार उत्पन्न होते रहते हैं, “मस्तिष्क तरंगे“ मेरी पहली कविता संग्रह है, जिसमें मैंने देश में बढ़ रही लगभग सभी समस्याओं पर जैसे-बेरोजगारी, ग़रीबी, महंगाई, जनसंख्या विष्फोट, भ्रस्टाचार, बाल श्रम, पर्यावरण संरक्षण, प्लास्टिक प्रदूषण, कुछ सामाजिक बुराइयों पर भी व्यंग्य कविता के माध्यम से तंज कसने का प्रयत्न किया है, जैसे – अस्पृश्यता, बाल विवाह, दहेज प्रथा, बालिका भ्रूण हत्या, समलैंगिकता इत्यादि का मार्मिक एवं हृदय स्पर्शी कविताओं के माध्यम से अभिव्यक्त करने का प्रयत्न किया है।

कविता संग्रह सभी वर्ग के पाठक को ध्यान में रख कर लिखा गया है, कविता संग्रह जीवन की वास्तविकता एवं यथार्थ भी बताती है । शृंगार एवं वियोग शृंगार रस के कविताओं को भी सम्मिलित किया गया हैं। यह कविता संग्रह पाठकों को गुदगुदायेगी, रुलायेगी, और अनंत गहन चिंतन में डाल देगी। उम्मीद है पाठक वर्ग द्वारा मुझे बेहद स्नेह और प्यार मिलेगा।”

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ :    Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 82  pages
  • ISBN-13 ‏ : ‎    9789390871810
  • Reading age ‏ : ‎ 3 years and up
  • Country of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Dimensions 5.5 × 8.5 cm

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