Mere Dil ke Bahut Qarib,(Ek Gode liye huye Bachche ki Kahani ), By(Dr. Manorama Srivastava)

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“यह पुस्तक एक गोद लिए हुए बच्चे और उसको गोद लेने वाले परिवार की सच्ची कथा है । इस में बताया गया है कि किस तरह से पारिवारिक और सामाजिक व्यवधान के बाद भी यह बच्चा इस घर में माता, पिता और भाई बहन के बीच अत्यन्त प्यार, दुलार में पलता, बढ़ता रहा । किस तरह से उसकी छोटी से छोटी इक्छा पूरी करने में सब को आनंद आता रहा था ।

पुस्तक में लेखिका ने जो कि इसको प्यार से पालने वाली माँ भी है लिखती हैं कि वे अपने अनुभव से निश्चय-पूर्वक इतना अवश्य कह सकती हैं कि गोद लिया हुआ बच्चा अपने खुद के बच्चों से ज़्यादा प्यारा होता है । इसका कारण है कि आपके मन में हर समय यह भावना रहती है कि इसका अपना तो मेरे सिवाय कोई है ही नहीं । जब कि मेरे बाकी बड़े बच्चों के लिए तो पूरा परिवार दादा-दादी, नाना-नानी आदि सब हैं । यह एक ऐसी भावना है जो कि आपको हमेशा इस से बहुत अधिक ममत्व और अपनेपन से जोड़े रखती है

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : Hindi
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355357359
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years And Up
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

डॉ. मनोरमा श्रीवास्तव का जन्म आगरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था । उनके पिता स्व॰ पी॰के॰ श्रीवास्तव शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश में कार्यरत थे और उनका अधिकांश सेवा कार्य ग्वालियर में व्यतीत हुआ । इसलिए डॉ. मनोरमा की अधिकांश शिक्षा दीक्षा ग्वालियर में ही हुई ।
शिक्षा पूर्ण होने पर वे अपने ही शिक्षा संस्थान, स्थानीय गजरा राजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर में सहायक प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्त हुई । उनके पति डॉ. सी बी एल श्रीवास्तव भारतीय आर्मी में डॉक्टर.
थे । उन्होंने 1962 में चाइना एवं 1965 में पाकिस्तान वार में फ्रंट पर ड्यूटी दी । उस समय डॉ. मनोरमा एवं उनके पति दोनों ने अपना एक एक माह का वेतन देश की सुरक्षा के लिए दिया था । इसके लिए उन्हें राष्ट्र पति से सन्मान पत्र भी मिला था ।
कुछ वर्ष पश्चात पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उन्होंने मेडिकल कॉलेज का कार्य छोड़ दिया और अपना निजी अस्पताल “श्रीवास्तव नर्सिंग होम” ग्वालियर में ही शुरू कर दिया ।
कार्य की अधिकता के कारण लिखने की बहुत इक्छा होते हुए भी उस समय लेखन के लिए समय नहीं निकाल सकीं । अब जब समय मिला तो लेखन का कार्य शुरू किया । उनकी एक किताब अंग्रेज़ी में स्त्रियाँ के रोग और ऑपरेशन पर छप चुकी है । हिन्दी में एक कहानी संग्रह “अँधेरों के उजाले” छप चुकी है । जो कि चिकित्सा संबंधी विषय पर और मानवीय जीवन-मूल्यों पर आधारित समस्याओं के रूप में हैं । कुछ अधूरी पुस्तकें छपने को तैयार हैं ।
चिकत्सा क्षेत्र में उन्होंने अनेक नेशनल एवं इंटरनेशनल कोंफेरेंस में शोध पत्र प्रस्तुत किए एवं अवार्ड्स भी प्राप्त किए । अपने अस्पताल में स्त्री रोग में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा शुरू किया।”

Additional information

Dimensions 5 × 8 cm

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