Prakhar Porahari , jay ho…Hindi kavita BY (NEERAJ KUSHWAHA)

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“सादर अभिनन्दन, कहते हैं जो आवाज सुनाई नहीं देती है, उसमें बहुत ताकत होती है और वह आवाज कलम की आवाज होती है। कलम की आवाज अगर कविता स्वरुप हो, तो फिर वह चिर स्थाई रूप में प्रभावपूर्ण व प्रेरणादायी होती है। मुझे कविता लेखन की अधिक इच्छा नही थी, परन्तु ‘गोपाल दास नीरज’ जी के स्वर्गीय वर्ष में उनकी कृतियों से अभिभूत होकर, मुझमें भी कविता, गीत आदि लेखन की प्ररेणा जागृत हुई।
“”आत्मा के सौंदर्य का, शब्द रुप है काव्य
मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य।””
मैं भारतवर्ष का सीमा प्रहरी अपने मार्मिक, दार्शनिक, पारिवारिक, राजनीतिक और सामाजिकतापूर्ण भावनाओं से ओत-प्रोत कुछ काव्य रचनाएं इस पुस्तक में संकलित कर रहा हूं।
आशा करता हूं कि, आप सभी पाठकों को मेरी मेहनत अच्छी और सारगर्भित सिध्द होगी।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 114 pages
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9788194935896
  • Reading age ‏ : ‎ 3 years and up
  • Country of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

“जय हो ,
मुझे विश्वास है कि यह मेरी काव्य पुस्तक ‘प्रखर प्रहरी’ आप सभी के हृदय में एक अमिट छाप स्थापित करने में सफल हुई होगी। इस पुस्तक की काव्य रचना जीवन के महत्वपूर्ण संदर्भों जैसे सत्य, स्वार्थ, पुरूष्षार्थ, कर्म, रिश्ते, परिवार आदि की सार्थकता का बोध कराती है, जिसका आचरण संगत होना मनुष्ष्य के लिए अनिवार्य होता है। इस पुस्तक
के माध्यम से आप जरूर लाभान्वित होंगे तथा साथ ही साथ आप सभी देशवासियों से मैं आग्रह करना चाहूंगा कि, आप जब भी किसी सैनिक से मिलें तो उन्हें जरूर सम्मान व धन्यवाद दें। इसके लिए मैं स्वयं ही एक जनजागृत अभियान ‘सैल्यूट टू वर्दी’ से प्रेरित हूं, क्योंकि जब सैनिक अपने घर-परिवार से दूर जातें हैं, तो कहीं न कहीं अपनों की यादें, उनके हृदय को द्रवित कर देती हैं। जैसा कि इस पुस्तक में भी सैनिक के मनोभाव का मार्मिक दर्शन है –

‘चैखट खड़ी ललित भार्या, भर नयनन से विदा करती है,
द्वार खड़ी मां की ममता, चुपचाप बिलख कर रहती है।
ऊंगली पकड़े बेटी रोकर, जब पापा, ना जा कहती है,
मन विह्वल होकर कहता, क्या यही जिंदगानी होती है।’

देश सेवा के प्रति अगाध भक्ति, बलिदान के लिए सदैव तत्पर और उनके समर्पण भाव के प्रति हम सभी देशवासियों को उनका सम्मान, धन्यवाद व आभार अवश्य प्रकट करना चाहिए।
अन्त में, एक अच्छा नागरिक होना भी देश-भक्ति है।
जय हिन्द।

नीरज कुशवाहा
सीमा प्रहरी
ष्

Additional information

Dimensions 5.5 × 8.5 cm

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