Priti ki Anugamini Tum…(Geet Sangrah(, By(Santosh Kumar Srivas)

180.00

“अव्यक्त भावना मन के शांत अगाध जलराशि में एक हलचल सी पैदा करती है, जैसे गर्म शिलाओं के भीतर उथल-पुथल करती आकांक्षाएं स्वेद के रुप में बहूमूल्य शिलाजीत का निर्माण करती है, अव्यक्त भाव भी कुछ इसी तरह के स्थितियों का निर्माण करता है और वही भाव जो मन को विचलित से करते हैं, शब्दों का आवरण ओढ़ कर एक नवीन कलेवर में एक नये शब्द संसार या कहें नये साहित्य को जन्म देते हैं ।
श्रृंगारिक भाव या सौंदर्य के प्रति आकर्षण मानव जाति के जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है मन के कोमल भाव और सौंदर्य ही परस्पर मिलकर गीत का सृजन करते हैं ।
गीतों की संरचना में मात्रा का या कहें छंद विधान का अहम स्थान होता है लेकिन उससे भी आवश्यक भावों का संप्रेषण और रचना में प्रवाह का होना है ।
मेरी श्रृंगारिक रचनाओं में स्थूल और सूक्ष्म सौंदर्य भाव भंगिमाओं का चित्रण और कहीं-कहीं उसमें आध्यात्मिकता के भाव भी परिलक्षित होते हैं ।
सौंदर्य चाहे प्रकृति का हो, मानव का हो या फिर आध्यात्मिक सौंदर्य का ही क्यों ना हो यह मुझे सदैव प्रिय और आनंदित करते रहे हैं ।
श्रृंगार पर लिखी मेरी इस पुस्तक में 55 गीतों को संकलित किया गया है जो आपके अन्तर्भाव को आह्लादित करने में सक्षम होंगे ऐसा मेरा मानना है और विश्वास भी, श्रृंगार पर लिखी यह मेरी दूसरी पुस्तक है ।”

Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing
Language ‏ : ‎Hindi
ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355358301
Reading Age ‏ : ‎ 3 Years And Up
Country Of Origin ‏ : ‎ India
Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

“छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिलान्तर्गत ग्राम-भदौरा में ग्राम्य परिवेश में पले-बढ़े और सहज-सरल किंतु अन्तर्मुखी एवं संकोची प्रवृत्ति के कारण ज्यादा लोगों से मेल-मुलाकात या संपर्क का अभाव सदैव ही रहा, साहित्य के प्रति अभिरुचि स्कूली शिक्षा के समय से ही रही,लेकिन इनके लेखन का प्रारंभ सन्-2019 से हुआ।
स्कूली शिक्षा के पश्चात इन्होंने गुरु घासीदास विश्व विद्यालय से इतिहास विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की और वर्तमान में दक्षिण पूर्वी कोयला प्रक्षेत्र के आधीन कुसमुंडा परियोजना में डाटा ईन्ट्री ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं ।”

Additional information

Dimensions 5.5 × 8.5 cm

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