Pushp Vaatika, By (Dr. Vanshidhar Tiwari “Vishwavallabh”)
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“काव्य सृष्टि, साहित्य रचना में प्रथम सोपान है। आदि कवि वाल्मीकि के कंठ से एक व्याधा द्वारा क्रौंच पक्षी के जोड़े को विंध देने के बाद व्यथित होकर व्यथा, काव्य की पंक्तियों में फूट पड़ी थी।
द्वापर में व्यास जी ने पुराणों और उपनिषदों की रचना की। यद्यपि ये सारी रचनायें संस्कृत भाषा में हुई मगर पद्यबद्ध, छन्दबद्ध काव्य के रूप में हुई।
कहा गया है कवि पैदा होते हैं, कवि बनाये नहीं जा सकते। काव्य कवि के हृदय से निःसृत सहेज भाव का उच्छवास, उद्गार, संवेदना, हर्षातिरेक, राष्ट्रीय, राजनीति, सामाजिक, श्रृंगारिक या वीर रस की उत्पन्न भावनायें ही होती हैं जो काव्य के रूप में फूट पड़ती हैं।
देश-काल एवं परिस्थिति के अनुरूप कवि हृदय संवेदित या उच्छ्वासित होता है। कवि हृदय में उमड़ती भावनायें काव्य के रूप में फूट पड़ती है। काव्य भाव प्रधान होता है। अतः समय-समय पर की कवितायें अलग-अलग भाव एवं संवेदना लिए होती हैं।
काव्य के भी विभिन्न रूप हैं, महाकाव्य, अख्यान काव्य, मुक्तक काव्य, फुटकर काव्य आदि।
प्रस्तुत काव्य संग्रह भी समय-समय पर उद्धेलित भावनाओं का संग्रह है। इनके कई रूप हैं जिन्हें कई खण्ड में प्रस्तुत करने का प्रयास किया हूँ
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- ISBN-13 : 9789355357953
- Reading age : 3 years and up
- Country of Origin : India
- Generic Name : Book
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Description
“लेखक परिचय
इस काव्य पुस्तक के रचयिता डॉ. वंशीधर तिवारी “विश्ववल्लभ” हैं जो एक चर्चित काव्य लेखक, उपन्यास लेखक, कहानी लेखक, नाटक लेखक, धार्मिक ग्रंथ लेखक एवं सामाजिक कहानी व निबंध लेखक एवं काशी विद्वद परिषद, भोजपुर बिहार शाखा के उपाध्यक्ष हैं।
इनकी रचनाएँ कई प्रकाशनों से प्रकाशित होती रही हैं जो आप पाठकों में से कई लोगों के हाथों अवश्य प्राप्त हुई होंगी। इनकी रचनाओं के कुछ प्रसिद्ध नाम जैसे-प्रत्यायक, नवरतन, दुर्गति माई बाप के, पढ़लकी पतोह, दुर्गा सप्तशती (हिन्दी), दो धर्मो का संगम, युद्ध झेलता भारत, संस्कृति के दो फूल, पार्यावरण परिचय, झुकती मीनारें, फूटती किरणें, सुलगते अरमान, वंशीधर-दोहावली, बदलती दुनिया, सुगबुगाहट इत्यादि हैं।
बिहार के एक छोटे से गाँव मिसिरकरमा में जन्मे डॉ. वंशीधर तिवारी साहित्य के साथ-साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता एवं सामाज चिंतक हैं। काव्य की पंक्तियों के माध्यम से अपने भावों को प्रगट करना, निबंधों के माध्यम से विचारों को रखना, उपन्यास जैसे कृतियों के माध्यम से समाज को संदेश देना, नाटकों की रचना कर समाजिक परिदृश्य मुखरित करना इनकी खासियत है।
Additional information
Dimensions | 5.2 × 8.2 cm |
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