Saanson Ke Rukane Tak, By(Drishya Singh)

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ये ज़िंदगी क्या है! समझने का नज़रिया है अपना अपना, सब ये भी जानते हैं बिना मक़सद के ज़िंदगी जीना बहुत मुश्किल होता है। जिनके पास जीने का मक़सद होता है उन्हें मुश्किलें, मुश्किल नहीं लगतीं। ये सच है जिनके पास जीने का strong reason होता है उनकी life में मुश्किलें कुछ ज्यादा ही आती हैं। और ये मुश्किलें ही इंसान को strong बनाती हैं, दृढ़ शक्ति को ये ही बढ़ाती।
इस किताब की सारी रचनाएं आज से पांच या उस से भी ज्यादा साल पहले की हैं। और मेरा मन सबसे पहले इन्हें ही प्रकाशित कराने को कहता रहा है। इनमें से कुछ रचनाएं मुझे प्रकाशित कराने योग्य नहीं लग रही थीं, मन कहता है कि वो मेरे बाल मन की रचनाएं हैं और शुरुआत तो यहीं से हुई थी।
मैंने इस पुस्तक में अपने एहसास, अपने आस पास से लिया अनुभव लिखा है, दुनिया में होता क्या है, लोग दुनिया से चाहते क्या हैं, देते क्या हैं लेना क्या चाहते हैं। मैं इतना ही कहूंगी किस्मत बड़ी चीज़ है मगर कर्म उससे भी बड़ा है। जो भी आपने किया है जिसके भी आप हकदार हो, वो आपको कभी ना कभी अवश्य मिलता है। हां उन्नीस बीस ज़रूर होता है मगर मिलता अवश्य है, आप धैर्य के साथ मेहनत जारी रखें। मुश्किलें आएंगी, डराएंगी, कदमों को ठहराएंगी, ठहर जाना मगर थमना ना कहीं, मंजिल ना मिलेगी तो रास्ते तो नए बन जाएंगे ही। वैसे भी मंजिलों से खूबसूरत होता है सफ़र। हां कर्मों का सिला होती हैं मंजिलें ही मगर। मैंने बस यही कहने की कोशिश की है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए, तुम जिस फील्ड में जाना चाहते हैं उसी में जाइए
गर एक रस्ता बंद होता है तो तुम दूसरा बनाइए, थक कर क़दम रोक लेना बेशक, हार कर कभी ना लौटाइए ।
हौसले हमारा कर आया है गम का सागर पार
सामने क्या! ये तो छोटा सा दरिया है यार

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : ‎  Hindi 
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355357977
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years And Up
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

” मैं सब के जैसी ही हूं बस मेरे विचार बहुत लोगों से अलग हैं
मैं अति भावुक किस्म की लड़की हूं, लेकिन यही चीज़ मुझे स्ट्रॉन्ग बनाती है, एहसास दिलाती है भले रोते जाओ मगर आगे बढ़ते जाओ बढ़ते ही जाओ। पहले बहुत शिकायत थी जिंदगी से मगर अब कोई शिकवा नहीं है, मुझे सबसे ज्यादा बातें खुद से करना पसंद है ये आदत मुझे मुझसे वाकिफ करती है, और सही गलत का एहसास कराती है। इस आदत से लिखने में बहुत आसानी होती है, ये ठीक है, ना ना ये सटीक नहीं है हम खुद ही अवलोकन करते हैं दोनों पहलुओं का। छोटे शहरों में हर सुविधा मुहैया नहीं होती है तो थोड़ा मुश्किल होता है आगे बढ़ना, सभी जानते हैं ठान लो तो कुछ भी पाना और कहीं भी पहुंचना मुश्किल नहीं है। हां थोड़ा वक्त ज्यादा लग जाता है मुश्किलें थोड़ी ज्यादा फेस करनी पड़ती हैं। और वही हमारी स्ट्रेंथ को बढ़ाती हैं। तो मेरी लाइफ में मेरी सबसे बड़ी रुकावट बनता है मेरा शरीर, कुछ ना कुछ गंभीर बीमारी चलती रहती हैं और ऐसी ही हालत, हालात मेरी दृढ़ शक्ति को बढ़ाते हैं, कि कुछ भी हो मुझे सांसों के रुकने तक रुकना नहीं है, जिस स्थिति में खुद को पाया था उससे आगे तो बढ़ी हूं मैं मगर अपने सपनों की तामीर से बहुत बहुत दूर हूं अभी। कोशिश और मेहनत दोनों जारी रखनी हैं, सांसों के रुकने तक।
मुझे जब से पढ़ना लिखना आया मैं तब ही से लिखती हूं अपने ideas। वक्त की मार है की मैं अभी तक कुछ प्रकाशित नहीं करा पाई, या कराने योग्य अभी तक लिख नहीं पाई। अब ये तय करना आप सब पर निर्भर है कि मैं कुछ पढ़ने योग्य लिख पाई हुं कि नहीं।”

Additional information

Dimensions 5.2 × 8.2 cm

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