Satnam Hamar Pahichan , (Sajha kavy-Sangrah) BY (Kishan Tandon Kranti)

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“सतनाम हमर पहिचान’ के बारे में
छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के अघुवाई मा ‘मनखे मनखे एक बरोबर’ के अमर संदेश देवइया प्रातः स्मरणीय विश्व वंदनीय गुरु घासीदास बाबा जी के बिचार ल आत्मसात करके सफेद झंडा धर के सत के मारग मा चलइया सतनाम धर्म के लाखों अनुयायी मन अपन-अपन ढंग ले गुरू घासीदास के महिमा के बखान करत मिलथें। ओही ल ए ग्रन्थ म पद्य के कई विधा मा लिखे गय हे।
सबले बड़े बात ए हरे के हर मनखे ल ए जानना जरूरी हो जथे के हमर पहिचान का ए? सिरतो मा सतनाम ह ओ जम्मो मनखे के पहिचान आय जेन ह सत के रद्दा म चलथे अऊ अपन सुभाव ल सुघ्घर रखके परोपकार के बुता ल करथे।
एही रद्दा मा चलके ही मनखे ह महान बन सकथें। अही जम्मो जीनिश ल ‘सतनाम हमर पहिचान’ साझा- संकलन मा कहे गय हे। जेन ह न सिरिफ सतनाम के मनइया (अनुयायी) मन बर आय, बल्कि मानव समाज के हर व्यक्ति बर उपयोगी हे।
‘सतनाम शबद’ के स्मरण करे ले मानव जीवन ह भवसागर पार उतरथे। ओ खातिर ए संग्रह मा ओला संकलित करके जन-जन मा बगराय के थोरकुन परयास करे गय हे।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 194 pages
  • ISBN-13     : 9789355353900
  • Reading age ‏ : ‎ 3 years and up
  • Country of Origin ‏ : ‎ India

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Dimensions 5.5 × 8.5 cm

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