Shak by (Keshav Shukla)

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रिश्तों के बीच अनसुलझी डोर को सुलझाने की कोशिश से जन्म लेता है यह उपन्यास “शक” । विश्वासों का धागा बड़ा कच्चा और कमजोर होता है इसलिए वह बड़ी जल्दी टूट भी जाता है तथा टूटने के बाद कभी जुड़ नहीं पाता । यह रिश्ता पति-पत्नी का हो,माँ-बेटे का हो, सास-बहू का हो चाहे अन्य । भारतीय समाज में रिश्तों का महत्व विश्व समाज के रिश्तों से अलग और अनूठा है । मैंने रिश्तों के अंतर में झांकने का प्रयास किया । आश्चर्य है कि हमारे समाज में “शक” की बुनियाद बहुत गहरी है । यह अंदर ही अंदर समाज और रिश्तों को खोखला कर रही हैं । भरे-पूरे परिवार टूट रहे हैं,बसी-बसाई गृहस्थी उजड़ती जा रही है । इस ओर यदि ध्यान नहीं दिया गया तो एक दिन आदिम और बर्बर समाज का जन्म हो जाएगा, सभ्यता, संस्कृति पूरी तरह नष्ट हो जाएगी । वर्तमान दौर में बहुत सारे रिश्ते खत्म हो गए हैं । आंटी-अंकल जैसे रिश्ते सामने आ गये हैं । मामा-मामी, नाना-नानी, दादू-दादी, बुआ-फूफा जैसे रिश्ते तिरोहित हो रहे हैं । आंटी और अंकल हर रिश्ते पर हावी हो गया है । परिवार संकुचन का शिकार है । जहां रिश्तों की गहराई अथाह हुआ करती थी । लोग कहते थे कि रिश्तों की पूंछ तो हनुमान जी के पूंछ की तरह लंबी होती जा रही है । कई पुश्तों और सदियों पुराने रिश्ते इस तरह निभाये जाते थे जैसे कल के हों और आज ये हाल है कि पति-पत्नी के ही रिश्ते में दरारें दिखाई देती हैं । शक आज आत्महंता हो गई है । अपराध भी शक के कारण हो रहे हैं पौराणिक कथाएं दंत कथाएं बन गई हैं । संस्कार दकियानूसी, रूढ़िवादिता में गिना जाता है । अंग्रेजी लाइफ स्टाइल हमें कहां ले जा रही है,यह पता नहीं है । ऐसे समय क़लम और कलमकारों की जिम्मेदारी बढ़ गई है । शक बात-बेबात भी उत्पन्न हो जाता है जिसका कोई समाधान ही नहीं होता । शक का कथानक दो पात्रों के इर्दगिर्द चक्कर काटता है । पति सोनल और पत्नी तृषा दोनों के बीच यह पनपता है । जबकि दोनों की शादी प्रेम और अरेंज मैरिज का संयुक्त हिस्सा है । यह उपन्यास इस अंतर्द्वंद को दर्शाता है । मैं नहीं जानता कि यह उपन्यास अच्छा है या बुरा । यदि कलम अच्छे-बुरे के चक्कर में पड़ जाए तो वह लिखेगी कैसे? इसलिए मैंने अच्छे-बुरे का निर्धारण पाठकों पर छोड़ दिया ।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : Hindi
  • Page : 50
  • Size : 5×8
  • ISBN-13 ‏ : ‎9789355359629
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years 
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

लगभग 32 वर्ष की पत्रकारिता के दौरान मेरी पहली किताब व्यंग्य संग्रह शनिचरी मत जइयो का प्रकाशन हुआ तब मैंने सोचा नहीं था कि कभी दो दर्जन किताबें लिख पाऊंगा।मंझली,वंशिका,जल जहाज के पंछी,आया और शक ये पांच लघुउपन्यास मेरे “साहित्य ग्राम प्रकाशन” से एक साथ प्रकाशित हो रहें हैं।शेष सभी बुक्स क्लिनिक पब्लिकेशन से प्रकाशित हो चुकी हैं।इस प्रकाशन के डॉयरेक्टर हितेश सिंह जी एवं को-डॉयरेक्टर ऋचा सिंह जी का मैं ह्र्दयतल से आभारी हूं जिनके अनथक परिश्रम से मेरी किताबें आपके हाथों तक पहुंचती हैं।बिलासपुर छ.ग.में सन् 1953 में मेरा जन्म हुआ।होश संभालने और सोचने-समझने लायक होने के बाद शुरू हुई सृजन-यात्रा अब तक जारी है।

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Dimensions 5 × 8 cm

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