Sukshm aur Vistar , Manushya ka Swapndosh hi, Prithvi ka Bhukamp hai, (Prakash Chandra Seth ) ya Sukshm hai, Prithvi Vistar hai BY (

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“””सूक्ष्म और विस्तार””
जैसा की पुस्तक के नाम से जो प्रमुख आभाष हो रहा है कि, एक बिंदु पर सूक्ष्म है और एक बिंदु पर विस्तार है, शिवपुराण क रहस्य है की अच्छाई हो या बुराई आप उसका मूल नष्ट नहीं कर सकते हैं। अगर आप परिश्रृमी और पुरुषार्थी है तो कुछ अंश तक उसको परिवर्तित कर सकते हैं, इसी विषय को माध्यम बनाकर सूक्ष्म और विस्तार में जो भी विषय लेखक को लोकाचार्य में आए या समाज या राष्ट्र में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चारत वर्तमान में रहे, उन पर तत्वज्ञान यानी जिसे हम परादृष्टि ज्ञान भी कहते हैं, उस माध्यम से कहने की कोशिश की गई है, जिसमें प्रमुखता से वायु तत्व की प्रधानता शैली में अपनाई गई है, परादृष्टि ज्ञान के संयोग से कुछ सामाजिक, दांपत्य, राजनीतिक तथा धार्मिक प्रसंगों पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जोकि सनातन धर्म के कथा प्रसंगों का वर्णन है और , सूक्ष्म और विस्तार एक तरह से लेखक की स्वकृति ना होते हुए संकलनकर्ता की भूमिका ही निभाई है। आपका – प्रकाश चन्द्र सेठ”

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing (6 January 2023)
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 135 pages
  • ISBN-13     : 9789355357540
  • Reading age ‏ : ‎ 3 years and up
  • Country of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

” “”यह बात सही है कि मनुष्य का नैतिक पतन हुआ है,
यह नहीं समझ आया मनुष्य का हुआ या नैतिकता का ,,
सूक्ष्म और विस्तार के लेखक का अपना कोई स्वयं का परिचय नहीं है, लेखक ने दूसरे ग्रंथों से पढ़कर थोड़ा बहुत चिंतन मनन कर – करके, साधु-संतों से सत्संग करके, जो कुछ अपने बुद्धि विवेक से जान पाया, वर्तमान में चर्चारत विषयों पर लेखक को लगा कि इन विषयों पर लिखा जाना चाहिए, या कुछ विचार बनाए जाना चाहिए, लेखक ने बिना किसी संकोच के उन विषयों पर अपनी व्यक्तिगत राय प्रगट करने की कोशिश की है, इतना जरूर ध्यान रखा है उनके ऊपर जो भी सुझाव दिए हैं ज्यादातर सनातन धर्म के कथा प्रशंगों के वर्णन है कुछ अनुभव और कुछ मौलिक चिंतन लग सकते हैं, कारण बस इसी विषय पर कहने की कोशिश की गई है, इसलिए लेखक स्वविवेकी कम बल्कि संग्रहकर्ता या संकलनकर्ता ज्यादा उचित रहेंगा। सधन्यवाद”

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Dimensions 5 × 8 cm

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