Tazurbe Ki Mahak, By(Sharmila Kumari)

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“तज़ुर्बे की महक: साभार है जीवन की गलियों में गुजरते सफ़र उनसे बनते बिखरते सहेजते और बढ़ते पगडंडियों का। जिसमें विशेष है; मेरी (बूस्टर) मेरी पुत्री और बाकी बहुत कुछ जो अनुभूतियों (तज़ुर्बे की महक) है एक खूबसूरत काल्पनिक आसमां के साथ। आशा करती हूँ पाठकगण खुद भी इस महक का आनंद लेंगे।
धन्यवाद।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355358677
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years And Up
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

हमेशा से लेखन और साहित्य के प्रति मेरा गहरा रुझान रहा है, जो कह सकते हैं, शायद बचपन से । मेरी इसी अभिरुचि ने एक नई राह बनाई । स्कूली शिक्षा के दौरान, जब मैं कुछ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती थी, तो वे शब्द भी मेरे ही होते थे । लोगों को (गुणी जन) वे पसंद आते थे, उनके सुझाव ने मन के किसी कोने में शायद लेखनी की महक डाल दी।

बिहार में पली बढ़ी और फिर दिल्ली आना हुआ । जीवन के रुख़ ने कई अनुभव दिए । वो लेखनी की महक ने पुनः कोशिश की और अनुभव ने एक नया रूप लिया तो लगा क्यूं न आपसे (पाठकगण) कुछ गुफ़्तगू की जाए ।

फिर, लोगों का मिलना जुलना, जीवन से संजोए रिश्ते, सीख और अनुभव ने एक नई नज़र बख़्शी । मेरी बेटी के सुझाव से मैं Word Press पर कुछ लिखने लगी । फिर लगा क्यूं न जीवन से लिए महक को काग़ज़ और कलम से आप सुधी जनों (पाठकों) तक पहुचाऊं । “तज़ुर्बे की महक” आप पाठकों तक पहुंचे, इसी कामना के साथ ।
(आपके सुझाव सदर आमंत्रित हैं ।)

ससनेह;
शर्मिला कुमारी

Additional information

Dimensions 5 × 8 cm

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