Tujhe Dekh Nikalati Aah , (kavya Sangrah) BY (Sanjay Kumar Mishra “Annu”)

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“जीवन निरंतरता का अपर अभिधेय है।रुक जाना हीं तो मर जाना है। जबतक जीवन है उसमें बहाव है गति है।ये सारा जगत गतिशील है।इस जीवन में सिर्फ और सिर्फ आह और वाह का निर्वाह है।
प्रकृति हमें अपने अनुपम रुप छटा का दर्शन कराती रहती है।उसे देखकर हमारी अंतरात्मा में अनेक प्रकार के भाव उठते और मिटते हैं।उन्ही भावों में कुछ सुखद होते हैं तो कुछ दुखद होते हैं।जब प्राणी को सुख की अनुभूति होती है तो वह वाह करता है। जबकि दुखद अनुभूति पर आह करता है।कभी कभी मानव अपनी कल्पना से परे का दर्शन और साहचर्य पाकर भी आह!व्यक्त करता है पर ये जो आह है वह वास्तव में एक सुखद आह है।इस आह को यदि हम और स्पष्ट करना चाहें तो हरिवंशराय बच्चन जी की अभिव्यक्ति में कह सकते है — “”पिडा में आनंद जिसे हो आए मेरी मधुशाला””।बस वहीं हमारी भी बात है जो आपके सम्मुख ‘तुझे देख निकलती आह’ के रुप में प्रस्तुत है।
इस संग्रह में मानव जीवन अपने जीवंत रुप में उद्घाटित है।किसी तरह का भी आडंबर नहीं है।बस हमने जिस रुप में भावना को देखा उसी रुप में आपको भी दर्शन कराने का हमने सार्थक प्रयास किया।उस भावना के अश्रुत अपूर्व भाव भंगिमा को देखकर हमारे हृदय से विस्मय कारक आह! निकाल पड़ा।मैं तो बस विस्मित रहा जबकि वह और स्मित रही।मैं आह कर बस अब भी अपने बिस्फारित नयनों से देख रहा हूं।
इसके अलौकिक कार्य व्यवहार को देख देखकर सभी चकित हैं।सच कहें तो सभी दर्शक बस निर्निमेष हो चिंतनीय अवस्था में है। न कुछ कह सकने की बात है और न चुप रह सकने की बात। ठीक वही स्थिति है ‘केशव कही न जाय का कहिए।’जब वह अपनी राह निकलती है तो इधर आह निकल रही है।
जीवन के विविध अवसर का विविध रंग है।जो भी इस रंग को देखा सबने उसे अपने अपने अनुसार स्विकार किया है।सबकी अपनी अपनी दृष्टि है।कोई सिद्ध दृष्टि है तो कोई गिद्ध दृष्टि।कोई कोमल तो कोई कठोर।कोई सजग तो पर है सबकी दृष्टि। किसीको उसकी चाह है तो किसीको आह।ऐसी विकट परिस्थिति में भी तटस्थ कोई एक ऐसा भी है जो चाह की राह में भी अपने आह को निर्वाह रहा है।हो सकता है वह तटस्थ द्रष्टा आप हो या हम।
जीवन के हर एक कदम हर एक मोड़ पर भावना मुझे खड़ी मिली है। हमें कब,कहां,कैसी भावना मिली है वह सब आपके आगे हैं।आप भी उसका दर्शन किजिए और अपने करता देखा करता पाया हमें भी बताइएगा। हमें देखकर आह निकली थी हो सकता है आपको वाह निकले।अरे वाह हीं क्यों चाह भी निकल सकती है।पर उसके निकलने से क्या क्या निकलती है ये सब बात आपके उपर हीं छोड़ता हूं।पर एक आग्रह के साथ की चाहे आह निकले या वाह निकले याकि निकले चाह पर आप मुझे इससे अवगत जरुर कराइयेगा। इसी आशा और विश्वास के साथ मैं अपनी भावना को ‘देख निकलती आह’ के रुप में आपको सौंपता हूं।
भारतका एक ब्राह्मण
संजय कुमार मिश्र “”अणु””

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 61 pages
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9788194696148
  • Reading age ‏ : ‎ 3 years and up
  • Country of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

भारतका एक ब्राह्मण के नाम से विख्यात साहित्यकार संजय कुमार मिश्र ’’अणु’’ का जन्म बिहार राज्य के मगध प्रमंडलांतर्गत अरवल जिले के वलिदाद गांव में २५ जनवरी १९८२ को एक सुप्रतिष्ठित शाकद्धीपीय ब्राह्मण परिवार में हुआ।इनके पिता श्री राजबल्लभ मिश्र बंभई ग्राम वासी थे जो दिव्य साधक और उच्च मनीषि थे।माता श्रीमती इंदुप्रभा देवी एक सुयोग्य गृहणी थी।इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही पिता के संरक्षण में हुई।ये अपने पिता से धर्म, तंत्र, ज्योतिष,आयुर्वेद और आध्यात्मिक विद्या का ज्ञान प्राप्त किए। तत्पश्चात मगध विश्वविद्यालय बोधगया से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर किया।अपने शोध कार्य को आर्थिक और पारिवारिक कारणों से पूर्ण नहीं कर पाए। बाद में अनेक विद्यालय महाविद्यालयों में अध्यापन का कार्य किया। जुलाई २०१४ से रा.म.वि.परनपुरा, हसपुरा, औरंगाबाद में भाषा शिक्षक (हिन्दी) के पद सेवारत हैं। सम्मान — शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए २०१५ में जिला शिक्षक सम्मान मिला।देश भर के अनेक साहित्यिक,शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं से शताधिक सम्मान मिला। प्रकाशित रचनाएं — आकर मिलो तो(काव्य संग्रह)चलो न ऐसी चाल (काव्य संग्रह)फासले हैं बहुत (हिन्दी गजल संग्रह) रसधार (काव्य संग्रह) तुझे देख निकलती आह(काव्य संग्रह)गते गते गत भेल(मगही गीत,गजल, कविता संग्रह)तुम ऐसी तो न थी (हिन्दी गजल संग्रह) साझा संकलन में –प्रांजल काव्यांकुर,वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ, शब्दों में श्याम,मन मेरा कहता है,लभ इज ब्लाइंड,काव्य महोत्सव, साहित्य रश्मि,आदि में। देश के अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविता,गीत,गजल,निबंध आदि प्रकाशित। संप्रति — साहित्य कला परिषद अरवल के अध्यक्ष। संपर्क — संजय कुमार मिश्र ’’अणु’’ ग्राम़पोस्ट — वलिदाद थाना — महेंदिया जिला — अरवल(बिहार) पिन.नं.804402. मो.नं. 9162918252. 8340781217. अणुडाक — ेंदरंलानउंतउपेीतंददन/हउंपस.बवउ

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Dimensions 5 × 8 cm

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