Tum Aisi To Na Thi , (Hindi Gazal Sangrah) BY (Sanjay Kumar Mishra “Annu”)

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“गजल शब्द फारसी से आया है। ये इरान से हिंदुस्तान आया। शुरुआत में यह नबाबों के मनोरंजन के साधन मात्र था। विदित है कि यह प्रारंभ में ‘कसीदे’ के रूप में आया। दरबार में रहने वाले दरबारी कवि अपने नबाब के खुशामद में झुठी प्रशंसा किया करते थे। जिसमें हुश्न और इश्क़ का कल्पनातीत चित्रण होता होता था जो नबाबों के कामाग्नि को और प्रदीप्त करता था। यह हिंदुस्तान में उन्ही के साथ आया। कहने को हम कह सकते हैं कि गजल नबाबी ठाट का देन है।
नबाबों के दरबार से निकाल कर बाहर जनसामान्य के बीच इसे सुफी संतों ने परोसा। बात चाहे जो हो पर हिंदी में इस असर को लाने का श्रेय जाता है अमीर खुसरो को। यहीं से यह हिंदुस्तान की आबोहवा में पली बढी।
उर्दू गजल मुख्यतः प्रेम की भावनाओं का चित्रण मात्र रहा। अच्छी गजलें वही समझी जाती रही जिसमें इश्क और हुश्न की बातों को असरदार ढंग से खीदमते पेश किया गया हो। पर हिंदी गजलों के साथ ऐसी कोई बात नहीं रही। हिंदी गजल जनवादी अभिव्यक्ति का माध्यम बनी। वह आम आदमी के दुख दर्द को आत्मसात कर उसे मुखरित करती रही है।
अमीर खुसरो के बाद कबीर दास,शौकी और भारतेंदु हरिश्चंद्र ने इसकी परंपरा को आगे बढाया। तत्पश्चात इसे बद्रीनारायण’प्रेमधन’, श्री़धर पाठक,पं. रामनरेश त्रिपाठी,पं. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला,शमशेर,त्रिलोचन शास्त्री ने इसे पल्लवित पुष्पित किया!हलांकि शमशेर ने इस विधा को गति और दिशा दोनों प्रदान करने में स्तुत्य योग दिया है।
आगे चलकर इस परंपरा के वाहक बने हंसराज रहबर,पं.जानकी बल्लभ शास्त्री,पं. रामदरस मिश्र। इनलोगो नें हिंदी गजल के नूतन सौंदर्य शास्त्र का प्रणयन कर एक नया रूप गढा। हिंदी साहित्येतिहास साक्षी है कि हिंदी गजल के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर दुष्यंत कुमार ने इसके माध्यम से एक नई क्रांति का सूत्रपात किया। और आज वह गजल हिंदी साहित्य में एक अनुपम उपलब्धि के साथ समादृत है।
प्रस्तुत हिंदी गजल संग्रह “”तुम ऐसी तो न थी”” बस उसी परंपरा के निर्वाह में मेरा एक लघु प्रयास मात्र है। इसमें आपको वह सब मैंनें देनें का प्रयास किया है जो परंपरागत रूप से लेकर आजतक इसकी अवधारणा में समाहित है।
आप की दृष्टि चाहे जहां तक गई हो या जा सकती है वहां तक स्पष्ट रूप से आपको देखने के लिए वैसा ही मिलेगा जैसाकि मैंने अनुभव किया है। जीवन के हर क्षेत्र और अवसर पर हर लोगों के साथ मुझे इसे देखने का सुअवसर मिला। जो जनवादी तडप और ललक हमने अपने आसपास देखा,पाया भोगा बस उसी को आपके पास परोसा हुं। यह संग्रह आपको अच्छी लगेगी मुझे ऐसा विश्वास है।
यदि कहीं किसी तरह की कुछ कमी रह गई हो तो क्षमा प्रार्थी हुं। गलतियां करना और होना मानवीय स्वभाव है ऐसा समझकर मुझे क्षमा कर देंगें।
और अंत में चलते चलते बस यही कहुंगा कि यदि आपको भी कहीं ऐसा लगता है वह बदल गई है तो कहने में आखिर संकोच कैसा कि ‘तुम ऐसी तो न थी”” दिल खोलकर करना चाहिए और आप कहिए। नहीं तो आपकी सपना मर रही है।वह बदल गई है।वह इतनी बदल गई है की पहचान पाना मुश्किल है।यदि आपको ऐसा कुछ लगता है तो मिलकर कहिए तुम तो बदल गई।’तुम ऐसी तो न थी?’ बस इतनी सी प्रार्थना है।
भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र””अणु””

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : ‎Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 68 pages
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9788194696193
  • Reading age ‏ : ‎ 3 years and up
  • Country of Origin ‏ : ‎ India

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Description

“भारतका एक ब्राह्मण के नाम से विख्यात साहित्यकार संजय कुमार मिश्र ’’अणु’’ का जन्म बिहार राज्य के मगध प्रमंडलांतर्गत अरवल जिले के वलिदाद गांव में २५ जनवरी १९८२ को एक सुप्रतिष्ठित शाकद्धीपीय ब्राह्मण परिवार में हुआ।इनके पिता श्री राजबल्लभ मिश्र बंभई ग्राम वासी थे जो दिव्य साधक और उच्च मनीषि थे।माता श्रीमती इंदुप्रभा देवी एक सुयोग्य गृहणी थी।इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही पिता के संरक्षण में हुई।ये अपने पिता से धर्म, तंत्र, ज्योतिष,आयुर्वेद और आध्यात्मिक विद्या का ज्ञान प्राप्त किए। तत्पश्चात मगध विश्वविद्यालय बोधगया से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर किया।अपने शोध कार्य को आर्थिक और पारिवारिक कारणों से पूर्ण नहीं कर पाए। बाद में अनेक विद्यालय महाविद्यालयों में अध्यापन का कार्य किया। जुलाई २०१४ से रा.म.वि.परनपुरा, हसपुरा, औरंगाबाद में भाषा शिक्षक (हिन्दी) के पद सेवारत हैं। सम्मान — शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए २०१५ में जिला शिक्षक सम्मान मिला।देश भर के अनेक साहित्यिक,शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं से शताधिक सम्मान मिला। प्रकाशित रचनाएं — आकर मिलो तो(काव्य संग्रह)चलो न ऐसी चाल (काव्य संग्रह)फासले हैं बहुत (हिन्दी गजल संग्रह) रसधार (काव्य संग्रह) तुझे देख निकलती आह(काव्य संग्रह)गते गते गत भेल(मगही गीत,गजल, कविता संग्रह)तुम ऐसी तो न थी (हिन्दी गजल संग्रह) साझा संकलन में –प्रांजल काव्यांकुर,वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ, शब्दों में श्याम,मन मेरा कहता है,लभ इज ब्लाइंड,काव्य महोत्सव, साहित्य रश्मि,आदि में। देश के अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविता,गीत,गजल,निबंध आदि प्रकाशित। संप्रति — साहित्य कला परिषद अरवल के अध्यक्ष। संपर्क — संजय कुमार मिश्र ’’अणु’’ ग्राम़पोस्ट — वलिदाद थाना — महेंदिया जिला — अरवल(बिहार) पिन.नं.804402. मो.नं. 9162918252. 8340781217. अणुडाक — ेंदरंलानउंतउपेीतंददन/हउंपस.बवउ

 

Additional information

Dimensions 5.5 × 8.5 cm

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