Usaki Yaden Kuchh Mulakate : Premika Ki Yad Mein Premi Ka Haal-Behal by (Kumar Panchhi)

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“प्यारे दोस्तों

मैं ‘कुमार पंछी’ अपनी स्वरचित पुस्तक “”उसकी यादें कुछ मुलाकातें”” में प्रेम को लेकर अपने भाव को उजागर किया है। मैंने अपनी इस पुस्तक में अपने प्रेम के अनुभव को प्रकट किया है। समाज में कई जगह लोग प्रेम के पहले भी खिलाफ के और आज भी खिलाफ है, किंतु प्रेम किसी के रंग, रूप, किसी की जाति, किसी का धर्म, किसी का देश, या किसी विशेष को नहीं समझता, बल्कि प्रेम तो एक सकारात्मक भावना है, एक एहसास है जो किसी से भी हो सकता है। प्रेम एक इंसान को दूसरे इंसान से भी हो सकता है, प्रेम इंसान को अपनी मां से हो सकता है, अपने पिता से हो सकता है, अपने दोस्तों से हो सकता है, अपने भाई बहनों से हो सकता है, अपने देश से हो सकता है, अपने देश बंधुओं से हो सकता है, अपने जीवनसाथी से हो सकता है, अपने बच्चों से हो सकता है, और अपनी प्रेमी-प्रेमिका से हो सकता है। भगवान शिव ने भी माता पार्वती से प्रेम किया था, भगवान श्री कृष्ण ने राधारानी से प्रेम किया था, इसी तरह सभी देवताओं ने प्रेम किया था क्योंकि प्रेम को पवित्र माना गया है, किंतु आज की दुनिया में प्रेम की परिभाषा लोगों ने बदल कर रख दी है। लोगों की नजरों में प्रेम एक हवस बन चुका है। दोस्तों आज फिर से प्रेम को एक पवित्र धागे में पिरोकर प्रेम की उपमा को बढ़ाते हैं और प्रेम को अपने शब्दों द्वारा कविता का रूप देकर लोगों के सामने प्रस्तुत करते हैं।
धन्यवाद।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing (29 September 2022)
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 50 pages
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 9789355351180
  • Reading age ‏ : ‎ 3 years and up
  • Country of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

“””प्यारे दोस्तों

मैं ‘कुमार पंछी’ राजस्थान राज्य के टोंक ज़िले की निवाई तहसील के बनस्थली गांव के छोटे से क्षेत्र मोतीपुरा का रहने वाला हूं। मैं एक किसान परिवार से हूं। मेरे पिता श्रीमान रामचंद्र कुमावत और माता श्रीमती गोपाली देवी हैं। मेरे माता-पिता ने मेरा नाम कमलेश कुमावत रखा, किंतु मेरे गांव के दोस्त मुझे प्यार से पंछी कहकर पुकारते थे। अपने दोस्तों से प्रेम और पंछी नाम अति प्रिय होने के कारण हिंदी साहित्य लेखन की दुनिया में मैंने अपना नाम “”””कुमार पंछी”””” रख लिया। मैंने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय से पूरी की। उसके बाद बनस्थली गांव के निजी विद्यालय शिवानी आदर्श विद्या मंदिर से अपनी इंटर तक की शिक्षा पूर्ण की। इंटर करने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मैंने निजी संस्थानों में नौकरी करना प्रारंभ कर दिया। नौकरी करने के साथ ही मुझे हिंदी में कविता लिखने की दिलचस्पी हुई और अपने इस हुनर को मैंने अपनी कविता का रूप देकर अपने मन के भावों को अपनी डायरी में उतार दिया। और इन स्वरचित कविताओं को एक पुस्तक का रूप देकर आप सबके सामने प्रस्तुत किया है, जो कि “”””उसकी यादें कुछ मुलाकातें”””” नाम से आपको उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
धन्यवाद।
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Additional information

Dimensions 5 × 8 cm

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