Woh Pehli Mulaqat by (Sanjay Patil)
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इस कहानी का मुख्य पात्र तुषार है, जो शहर मे सॉफ्टवेयर कंपनी मे जॉब करता है | उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज मे कंप्यूटर साइंस ब्रांच मे इतनी सारी लड़की होने के बावजूद भी क्लास मे कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं बनायीं थी बस अपना पूरा ध्यान स्टडी पर ही फोकस किया करता था | तुषार गर्लफ्रेंड बनाकर अपनी स्टडी मे रूकावट व टेंशन नहीं चाहता था इसलिए कॉलेज के शुरुआती दिन से ही इनसे हमेशा दूरी बनाकर रखा | इन दिनों कॉलेज मे बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड का माहौल अपनी चरम सीमा पर था लेकिन जब अपने जीवन का लक्ष्य बड़ा हो तो प्यार जैसी चीजों की तरफ ध्यान नहीं हुआ करता है | कॉलेज डिग्री कम्पलीट होने के बाद ही सॉफ्टवेयर कंपनी मे सिलेक्शन हो गया और कुछ साल मे अच्छे परफॉरमेंस की वजह से ऑफिस मे सीनियर पोस्ट भी मिल गई थी | अब घर मे पापा मम्मी का बस एक ही कहना था कि जल्दी से शादी कर लो मगर तुषार अपने सपने पूरा करने के लिये और आगे बढ़ना चाहता था | तुषार के पापा शहर मे अपने समाज के परिचित दोस्त की लड़की को पसंद कर लेते है, दोनों ही परिवार तैयार रहते है इस रिश्ते के लिये बस तुषार भी लड़की को पसंद कर लें तो सब कुछ अच्छा हो जायेगा | कुछ दिनों के बाद पापा-मम्मी के जिद करने पर तुषार पहली बार अदिति से मुलाक़ात करने जाता है मगर अदिति अपने साथ एक सहेली भी साथ मे लेकर आती है | कॉफ़ी कैफ़े मे तीनो बैठकर कॉफ़ी पीते है, सहेली के साथ होने की वजह से तुषार बात करने मे थोड़ी झिझक सी महसूस करता है | कुछ देर के बाद अदिति की सहेली इन दोनों की भावनाओं को समझते हुये नजदीक ही पार्क मे टहलने चली जाती है | इसके बाद दोनों एक दूसरे से नज़रो से नज़रे मिलाते हुये बाते करते है और बातो के दरमियान एक दूसरे समझने की कोशिश करते है | ये वो एक छोटी सी मुलाक़ात हैं, जिसका सफऱ शादी तक हो पाता हैं या नहीं | क्या तुषार को अपने जीवन में और संघर्ष करना हैं या जल्द ही अपने सपनों की मंजिल मिल जायेगी?
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- Page : 79
- Size : 5×8
- ISBN-13 : 9789355356093
- Reading Age : 3 Years
- Country Of Origin : India
- Generic Name : Book
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Description
मेरा जन्म 9 मार्च 1992 को गाँव बिरूल बाजार, जिला बैतूल, मध्यप्रदेश मे हुआ था | जब मै 5 वर्ष का था तब मेरी मम्मी का स्वर्गवास हो गया था | इस घटना का मानसिक रूप से मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा | मेरा बचपन, अन्य बच्चों की तरह खेलकूद, शरारत मे नहीं बीत पाया, मुझे ज्यादातर एकांत मे ही रहना अच्छा लगता था | इस एकांत मे अक्सर अपनी सोचविचार मे ही डूबा रहता था | मैंने 12 वर्ष की उम्र से ही अपनी सोच और भावनाओं को डायरी मे लिखना प्रारम्भ किया | एक दिन की बात है, तवानगर के हॉस्टल मे,जब मै 7 वी कक्षा मे पढ़ता था, तब मेरे शिक्षक भार्गव सर ने गलती से मेरी डायरी के कुछ पन्ने पढ़े,वो काफ़ी प्रभावित हुए तब से सर मुझे हमेशा लिखने के लिए प्रेरित करते रहते थे | तवानगर हॉस्टल मे भार्गव सर और मालवीय मैडम ये वो दो शिक्षक है, जिनका मेरे जीवन मे बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है | भार्गव सर ने जहाँ लिखने के लिए प्रेरित किया, वही मालवीय मैडम ने मेडिटेशन करके अंतर्मन को प्रबल और साइकोलॉजी की छोटी छोटी बातो को सिखाया | ये शिक्षाएं मुझे जीवन के हर कठिन दौर मे भी शांत होकर सूझबूझ से निर्णय लेने मे मदद किया करती है | बचपन से ही रवीन्द्रनाथ टैगोर जी और प्रेमचंद जी मेरे लिए आदर्श रहे है और उनकी रचनाओ से काफ़ी ज्यादा प्रभावित भी हुआ था | मैंने बहुत सी रचनाएँ लिखी है जिसमे “संघर्ष”, “जिन्दा लाश”, “माँ की ममता”, “तवानगर हॉस्टल”,बेटी मेरा अभिमान , “भाई”, “अभिशापित जीवन”,”जिम्मेदारी”, “प्यार”, “निःसंतान”, “परिवार”,”वोल्टास (टाटा ग्रुप )”,”चंबल घाटी” “मेरा भारत महान “,ट्रैन का सफर, कॉलेज का प्यार,छोटा सा आशियाना, प्राइवेट जॉब, तलाक,इंतज़ार,जोखिम जैसी कुछ रचनाएँ है | मेरी कहानी “सपने”, “इंजीनियरिंग कॉलेज-1”, “अधूरी चाह-1”, विद्रोह, किसान आंदोलन, कोरोना की लहर, सच्ची मोहब्बत, विजय, अनाथाची माय सिंधुताई और वो पहली मुलाक़ात प्रकाशित हुई है | बाकि कहानियाँ भी जल्द ही प्रकाशित करने की कोशिश करूँगा |
Additional information
Dimensions | 5 × 8 cm |
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