Parachhaiyan by Bhagwati Prasad Dubey

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परछाइयाँ,ठीक पढ़ रहे हैं, आप । यही नाम है श्री भगवती प्रसाद दुबे जी की चौथी कृति का, जो अतिशीघ्र एक आकर्षक किताब की शक्ल में आपके समक्ष होगा। मूलत: यह छंद मुक्त कविताओं का संग्रह है जो मनुष्य के समाज और उसके गुण धर्म से प्राप्त अनुभव के माधुर्य से अत्यंत सरल भाषा और पद्धति से सृजित है ।

  • Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing 
  • Language ‏ : Hindi
  • Page : 108
  • Size : 5×8
  • ISBN-13 ‏ : ‎9789358231519
  • Reading Age ‏ : ‎ 3 Years 
  • Country Of Origin ‏ : ‎ India
  • Generic Name ‏ : ‎ Book

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Description

जीवन परिचय
बल्लू भईया के नाम से अपने चिर परिचितों के बीच जाने व पहचाने जाने वाले पं. भगवती प्रसाद दुबे का जन्म गोंड़पारा बिलासपुर में 25 नवम्बर 1937 को हुआ । आपके पिता स्व. श्री गंगाविष्णु दुबे और माता स्व. श्रीमती शिवदेवी थीं ।
आपने नगर में ही बी. ए., एम. काम, एल. एल. बी. और सी. आई. आई. बी. (I) की शिक्षा प्राप्त की । अपने शिक्षण काल से ही साहित्य के प्रति आपका रुझान स्तुत्य रहा है । पंजाब नेशनल बैंक के सीनियर मैनेजर के पद से आप 1996-1997 में सेवानिवृत्त हुये । नगर के ज्येष्ठ नागरिक संघ, बिलासा कला मंच तथा बिलासा साहित्य समिति, कान्यकुब्ज साहित्य समिति आदि अनेक संस्थानों से आप जुड़े हुए हैं । आप बिलासा साहित्य सम्मान, समन्वय साहित्य सम्मान तथा अपने सेवाकाल में भी अनेक सम्मान से विभूषित हुये । समाचार पत्रों में प्राय: आपके सुविचारित लेख छपते रहते हैं, आप पत्रकार भी हैं ।
आपकी काव्य रचना (सूरज की दुल्हन) वर्ष 2000 में प्रकाशित हुई जिसे सभी साहित्यकारों व अध्येताओं द्वारा सराहा गया ।उनकी दूसरी कृति “खाली पिंजरा” काव्य संग्रह अनेक दृष्टि से आपकी प्रतिभा को चरितार्थ करती है । उनकी तीसरी कृति ” अभिव्यक्ति ” है। अब उनका चौथा काव्य संग्रह परछाइयाँ आपके हाथ है ।

Additional information

Dimensions 5 × 8 cm

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