Hamar Gaon : Laika Man Ke Kavita
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हमर गाँव के पढईय्या संगी मन, ऐमा के कविता ल लिखे के सरोत मोर दाई बाबू आएं, जे मन मोर छोटे भाई मन के लईका मन ला खटिया मा सुते सुते बेदरा, भालू, बिलाई, आऊ आने जिनीस के जइसने बने तइसने किस्सा गीत ल सुनावय, सुन-सुन के लइका मन कठल कठल के हांसे,वो घनी टी वी मोबाइल नई रहीस, तेकर पाए के संझा बेरा घर म सांग भात के चूरत ले कभु अंगना त, कभू घर के भीतर सब झन बैइठ के ऐती ओती के गोठ गोठियान, लइका मन के पढ़े के मन होए तव पढ़े नहीं तव एक दूसर करा लराई झगरा म माते रहय। ऊकर सुरक्षित जगह बबा दादी रहय ।
कभू कभू महु वही तीर बैइठ के दाई बाबू के किस्सा गीत सुनव तव मन म विचार आइस के हमर गवांई गाँव म लइका मन ले संबंधित जेन जेन जिनिस हावे तेला विसय वस्तु बना के सीख देवत अपन भाखा बोली म सीधा-सीधा लिखा जाए ।
कई बरस बीत गए रहीस कविता मन ल लिखे ऐती ओती बगरे रहीस, सकेले हव, हमर गाँव ल आप मन तक पहुंचाएं म मोर लइका सुमन, आशुतोष, शुभांगी शांडिल्य के साथ श्रद्धेय श्री केशव शुक्ला जी महराज बिलासपुर के विशेष आसिरवाद हवे, मैं पंडित जी के हृदय ले धन्यवाद आभार व्यक्त करत हव ।
संगी हो आउ मोर नान नान लइका मन आप मन ल पढ़ के कैइसे लगीस, बने लागही तभो नई लागही तभो अपन विचार ले अवगत कराहा ।
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- Page :58
- Size : 5×8
- ISBN-13 : 9789358233834
- Reading Age : 3 Years
- Country Of Origin : India
- Generic Name : Book
1 in stock (can be backordered)
Additional information
Dimensions | 5 × 8 cm |
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