Seep Ke Moti by Rameshwar Shandilya
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प्रिय पाठक गण
मनुष्य समाज में जन्म लेता है,अपने अच्छे बुरे गुणों के साथ जीता मरता है शेष रह जाता है अच्छे बुरे कर्मों का फल ।
मैं स्वयं को कवियों की श्रेणी में रखना नहीं चाहता, मैंने तरुणाई से लेकर आज तक के जीवन काल में जो भी अनुभव सीख प्राप्त किया है उन्हीं भावनाओं को अभिव्यक्त करने का प्रयास सीप के मोती संग्रह में किया है ।
वैसे तो मैंने विद्यार्थी जीवन में लिखना प्रारंभ कर दिया था, तब नवभारत के रविवारीय अंक में बाल कविताएं कहानियां प्रकाशित होती थी, मेरी एक दो रचनाएं उसमें प्रकाशित हुई तो लिखने की प्रति रुचि बढ़ती गई,विद्यार्थी जीवन में स्कूल से मिले सीख की, प्रति दिवस डायरी लिखनी चाहिए मैंने उसका पालन किया ।
उच्च कक्षाओं में भी मेरा विषय हिंदी साहित्य रहा है तो साहित्य के प्रति लगाव बचपन से रहा है, अध्यापकीय जीवन में भी हायर सेकेंडरी के कक्षाओं में हिंदी का अध्यापन कराते रहा हूं । अध्यापन के साथ साथ साहित्य सेवा में निरंतर आगे बढ़ता रहा, इस संकलन की रचनाओं को सहेजने में काफी परिश्रम करनी पड़ी क्योंकि कई डायरियों में रचनाएं लिखी हुई थी, जिसमें से कुछ चुनिंदा मोतियों को चुनाव कार्य करना आसान नहीं था ।
मैंने अपनी रचनाओं को गुप्त धन की भाति कई वर्षों तक छुपा कर रखा मोबाइल युग में साहित्यिक समूह में रचनाओं की प्रशंसा किए जाने पर लगा कि इसमें कुछ तो है तब जाकर इसे जन जन तक पहुंचाने की हिम्मत हुई ।
मैं जहां भी पदस्थ रहा साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में मेरे लिखे नाटकों प्रहसन का छात्र-छात्राएं मंचन करते रहें है, अध्यापकों विद्यार्थियों की निरंतर सदप्रेरणा के फलस्वरुप ही मैं काब्य सृजन कर सका हूं ।
सीप के मोती काब्य संग्रह को आप तक पहुंचाने में मेंरी अर्धांगिनी श्रीमती लक्ष्मी शांडिल्य का भी विशेष योगदान रहा है जो यहां वहां बिखरी डायरीओ को ढूंढकर उपलब्ध कराया । तब कहीं जाकर यह कार्य संभव हो पाया है।
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- Page :115
- Size : 5×8
- ISBN-13 : 9789358233254
- Reading Age : 3 Years
- Country Of Origin : India
- Generic Name : Book
1 in stock (can be backordered)
Additional information
Dimensions | 5 × 8 cm |
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