Ishq, Kya Ek Bhool Hai ? by Premsagar Kashyap
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आज के समय में अधिकांश युवक और युवतियाँ फिल्मी दुनियां से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं । फ़िल्मों की नायक और नायिका उनके आदर्श होते हैं । फ़िल्मों में यह दिखाया जाता है कि कॉलेज में पढ़ने का मतलब इश्क करना होता है और जिनसे इश्क किया जाए, उन्हें हर हालत में प्राप्त कर लेना जीवन की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण सफ़लता होती है । अधिकतर युवक और युवतियाँ फिल्मी दुनियां की कहानी को अपने वास्तविक दुनियां में साकार करने की कोशिश करते हैं जबकि फिल्मी दुनियां की कहानी को वास्तविक दुनियां में उतारने से जीवन अंधकारमय होने का खतरा बढ़ जाता है । कॉलेज की विद्यार्थी जीवन वास्तव में इश्क करने के लिए नहीं होता है बल्कि अपने आप को जीवन जीने के लिए समर्थ बनाने के लिए होता है । विद्यार्थी जीवन केवल और केवल पढ़ाई करने के लिए होता है क्योंकि पढ़ाई से ही भविष्य तय होता है । इश्क उनके लिए ठीक हो सकता है जिन्होंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया होता है । जीवनसाथी हासिल करना प्रारंभिक उद्देश्य नहीं होता है बल्कि अपने पैरों में खड़े होने के लिए समर्थ होना प्रारंभिक उद्देश्य होता है । अपने पैरों में खड़े होने में समर्थ व्यक्ति ही जीवनसाथी को सुख दे सकता है अन्यथा उनके साथ धोखा ही करेगा ।
उपन्यास का उद्देश्य अपरिपक्व स्थिति में इश्क करने से होने वाले दुष्परिणाम की एक झलक दिखाना है ।
- Publisher : Booksclinic Publishing
- Language : Hindi
- Page :154
- Size : 5×8
- ISBN-13 : 9789358239102
- Reading Age : 3 Years
- Country Of Origin : India
- Generic Name : Book
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Description
नाम – प्रेमसागर कश्यप
निवास पता – सेमरिया ( बिर्रा), तहसील – चांपा
जांजगीर – चांपा, (छ. ग.)
जन्म तिथि – 18 मई 1976
योग्यता – एम. एस – सी. ( गणित ), बी. एड.
कार्यरत पद – व्याख्याता ( गणित )
अन्य कृति – माँ की ममता (उपन्यास), गणित का डर कैसे भगाएं ? (अकादमिक),
आत्मनिर्भरता : महुआ दारू से (हास्य व्यंग्य)
रुचि – लेखन और पठन – पाठन
Additional information
Dimensions | 5 × 8 cm |
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