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    • Samarpan : Bhaavon ka by (Sushila Devi)
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      • Samarpan : Bhaavon ka by (Sushila Devi)

      • 175.00
      • "मेरे अंतर्मन से जब हमारा अंतर्मन किसी बात को महसूस करता है तो हमारे दिल के किसी कोने में छुपा हुआ कवि अपनी भावनायों को लय बद्ध करता हुआ ऐसी रचनायों को उपजा देता है जिसकी छवि उसके अंतर्मन ने कभी न कभी स्वप्न में तो जरूर सोची होगी। वास्तव में काव्य उन सभी भावों का तालमेल होता है जो…
    • Kalam ki Kalpnaen, By(Deep Gagan Pareek)
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      • Kalam ki Kalpnaen, By(Deep Gagan Pareek)

      • 160.00
      • "ये पुस्तक नहीं एक भावों का भवसागर है । ये कविताओं और शायरी का एक सांझा संकलन है l इसमें आपके दिल के करीब रह रहे अनेकों अनेक विषयों को छूकर स्पंदन करने का प्रयास किया गया है l इसमें भले भाषा की बारीकी वर्तनी शुद्धिकरण पर इतना जोर नहीं दिया गया हो लेकिन ये भाव पूर्ण अवश्य रूप से…
    • DOGGY AUR DADDY, By(Manoj Sharma Angar)
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      • DOGGY AUR DADDY, By(Manoj Sharma Angar)

      • 110.00
      • मान्यवर आप जो भी रचना संग्रह डॉगी और डैडी को पढ रहें हैं । सबको मेरा मेरा प्रणाम वंदन अभिनन्दन । आप इस रचना संग्रह को पढ़कर मुझे मेरी कमियाँ गलतियाँ बताएँ जिससे मैं अपने लेखन में सुधार कर सकूँ । मैं साहित्य के विषय में ज्यादा नहीं जानता, ना ही मेरी व्याकरण अच्छी है मात्राओं की गलतियाँ मैं अक्सर…
    • Trishnabhivykti(Ek Kavita Sangrah), By (Muktinath Tripathi)
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      • Trishnabhivykti(Ek Kavita Sangrah), By (Muktinath Tripathi)

      • 250.00
      • "कई साझा संग्रह प्रकाशित होने के उपरांत वर्ष 2021में एकल संग्रह यादों की कतरन प्रकाशित हुई। जिसकी सफलता से प्रेरित होकर मेरी दूसरी एकल संग्रह तृष्णाभिव्यकति जो श्रृंगार,विरह एवम मानवीय संवेदनाओं पर आधारित एक कविता संग्रह है। जो सीधी सरल भाषा में है जिसे जन मानस सरलता समझ कर स्वयं को ढूंढने का प्रयास करेगा। निश्चित ही आप सबका स्नेह…
    • Kalm bolti hai by (Raksha Sharma RakshaRachit)
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      • Kalm bolti hai by (Raksha Sharma RakshaRachit)

      • 150.00
      • "क़लम को मिला कागज़ का साथ"".... काफ़ी इंतजार के बाद कल्पनाओं को अपने प्रथम काव्य संग्रह के रूप में आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने जा रही हूँ... वीर रस, श्रृंगार रस, करुणा जैसे रसों से लैस यह कविता संग्रह आपको भी जीवन से और आपके हृदय से जोड़ेगा यही उम्मीद है..." Publisher ‏ : ‎ Booksclinic Publishing (20 December 2022)…
    • Har Panna Kuch Kehta Hai by (Narendra Singh)
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      • Har Panna Kuch Kehta Hai by (Narendra Singh)

      • 180.00
      • मेरा प्रथम कविता संग्रह का प्रकाशन हो चुका है। जिसका नाम है "मन की लड़ियाँ" जो 100 कविताओं का संग्रह है। उस संग्रह में बहुत सी कविताओं को स्थान न मिला। कारण, मैं उसे कमतर आँक कर अलग कर दिया था। हालाँकि, "मन की लड़ियाँ" के प्रकाशक का कहना था कि आप स्वयं अपनी किसी रचना को निम्नतर नहीं कह…
    • Rashtra Jagran by Dr. Prahlad Rai Agrawal
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      • Rashtra Jagran by Dr. Prahlad Rai Agrawal

      • 200.00
      • अतीत के गौरव से वर्तमान पुलकित होता है । भूतकाल के काल खंड के पदचाप - उत्कर्ष या अपकर्ष- वर्तमान को उसके अनुसार ध्वनित करते हैं । हमारा अतीत स्वर्णिम था । इसी कारण वह विश्वगुरू के पद पर सुशोभित हुआ था । ऋषियों ने भारत भूमि को 'माता' शब्द से पुशोभित कर उसकी वंदना की है । यहाँ उन्होंने…
    • Aab-E-Zindagee : Gazal Sangrah by Geeta Vishwakarma ‘Neh’
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      • Aab-E-Zindagee : Gazal Sangrah by Geeta Vishwakarma ‘Neh’

      • 300.00
      • मेरा दूसरा ग़ज़ल संग्रह "आब-ए-ज़िन्दगी" में भी ज़िन्दगी की वहीं बातें हैं जो पहला ग़ज़ल संग्रह "शगुफ़्ता" में है। पर बातें अलग हैं। मेरे दायरे में जितने मौसम हहराए,मुस्कुराए सारे उतार चढ़ाव के पलछिन ग़ज़लों में समेटने की कोशिश रही है।बीते तीन वर्षों ( 2020 से 2022 तक ) में कोरोना काल की भयावह त्रासदी को कैसे भूल सकती हूॅं।…
    • Seep Ke Moti by Rameshwar Shandilya
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      • Seep Ke Moti by Rameshwar Shandilya

      • 150.00
      • प्रिय पाठक गण मनुष्य समाज में जन्म लेता है,अपने अच्छे बुरे गुणों के साथ जीता मरता है शेष रह जाता है अच्छे बुरे कर्मों का फल । मैं स्वयं को कवियों की श्रेणी में रखना नहीं चाहता, मैंने तरुणाई से लेकर आज तक के जीवन काल में जो भी अनुभव सीख प्राप्त किया है उन्हीं भावनाओं को अभिव्यक्त करने का…
    • Hamar Gaon : Laika Man Ke Kavita
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      • Hamar Gaon : Laika Man Ke Kavita

      • 150.00
      • हमर गाँव के पढईय्या संगी मन, ऐमा के कविता ल लिखे के सरोत मोर दाई बाबू आएं, जे मन मोर छोटे भाई मन के लईका मन ला खटिया मा सुते सुते बेदरा, भालू, बिलाई, आऊ आने जिनीस के जइसने बने तइसने किस्सा गीत ल सुनावय, सुन-सुन के लइका मन कठल कठल के हांसे,वो घनी टी वी मोबाइल नई रहीस, तेकर…